Economy, asked by Ashrithaloka, 6 hours ago

Poem on river in hindi long

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Answered by binodinibehera988
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Answer:

हिमखंडों से पिघलकर,

पर्वतों में निकलकर,

खेत खलिहानों को सींचती,

कई शहरों से गुजरकर

अविरल बहती, आगे बढ़ती,

बस अपना गंतव्य तलाशती

मिल जाने मिट जाने,

खो देने को आतुर

वो एक नदी है।

बढ़ रही आबादी

विकसित होती विकास की आंधी

तोड़ पहाड़, पर्वतों को

ढूंढ रहे नई वादी,

गर्म होती निरंतर धरा,

पिघलते, सिकुड़ते हिमखंड

कह रहे मायूस हो,

शायद वो एक नदी है।

लुप्त होते पेड़ पौधे,

विलुप्त होती प्रजातियां,

खत्म होते संसाधन,

सूख रहीं वाटिकाएं

छोटे करते अपने आंगन,

गौरेया, पंछी सब गुम गए,

पेड़ों के पत्ते भी सूख गए

सूखी नदी का किनारा देख,

बच्चे पूछते नानी से,

क्या वो एक नदी थी।

Explanation:

नदी निकलती है पर्वत से,

मैदानों में बहती है।

और अंत में मिल सागर से,

एक कहानी कहती है।

बचपन में छोटी थी पर मैं,

बड़े वेग से बहती थी।

आँधी-तूफान, बाढ़-बवंडर,

सब कुछ हँसकर सहती थी।

मैदानों में आकर मैने,

सेवा का संकल्प लिया।

और बना जैसे भी मुझसे,

मानव का उपकार किया।

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Answered by kumarankishore29
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Answer:

नदी

नदी निकलती है पर्वत से,

मैदानों में बहती है।

और अंत में मिल सागर से,

एक कहानी कहती है।

बचपन में छोटी थी पर मैं,

बड़े वेग से बहती थी।

आँधी-तूफान, बाढ़-बवंडर,

सब कुछ हँसकर सहती थी।

मैदानों में आकर मैने,

सेवा का संकल्प लिया।

और बना जैसे भी मुझसे,

मानव का उपकार किया।

अंत समय में बचा शेष जो,

सागर को उपहार दिया।

सब कुछ अर्पित करके अपने,

जीवन को साकार किया।

बच्चों शिक्षा लेकर मुझसे,

मेरे जैसे हो जाओ।

सेवा और समर्पण से तुम,

जीवन बगिया महकाओ।

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