Hindi, asked by purimahir17, 6 months ago

poem on save nature in Hindi.

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Answered by bhaveshdhande1234
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Explanation:

कलयुग में अपराध का

बढ़ा अब इतना प्रकोप

आज फिर से काँप उठी

देखो धरती माता की कोख !!

समय समय पर प्रकृति

देती रही कोई न कोई चोट

लालच में इतना अँधा हुआ

मानव को नही रहा कोई खौफ !!

कही बाढ़, कही पर सूखा

कभी महामारी का प्रकोप

यदा कदा धरती हिलती

फिर भूकम्प से मरते बे मौत !!

मंदिर मस्जिद और गुरूद्वारे

चढ़ गए भेट राजनितिक के लोभ

वन सम्पदा, नदी पहाड़, झरने

इनको मिटा रहा इंसान हर रोज !!

सबको अपनी चाह लगी है

नहीं रहा प्रकृति का अब शौक

“धर्म” करे जब बाते जनमानस की

दुनिया वालो को लगता है जोक !!

कलयुग में अपराध का

बढ़ा अब इतना प्रकोप

आज फिर से काँप उठी

देखो धरती माता की कोख !!

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