poem on Shikshak Divas
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दीपक सा जलता है गुरु
फैलाने ज्ञान का प्रकाश
न भूख उसे किसी दौलत की
न कोई लालच न आस
उसे चाहिए, हमारी उपलब्धियां
उंचाईयां,
जहां हम जब खड़े होकर
उनकी तरफ देखें पलटकर
तो गौरव से उठ जाए सर उनका
हो जाए सीना चौड़ा
हर वक्त साथ चलता है गुरु
करता हममें गुणों की तलाश
फिर तराशता है शिद्दत से
और बना देता है सबसे खास
उसे नहीं चाहिए कोई वाहवाही
बस रोकता है वह गुणों की तबाही
और सहेजता है हममें
एक नेक और काबिल इंसान को
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Hope it helps <3
Brainlist plz mate
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