Poem on swachh tha in Hindi Ý
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अब बहुत हो चुका,
हद हो गयी है ।
देश तो वही है,
लेकिन लोग नए है ॥
हमारा शरीर तो,
भले ही नया है ।
लेकिन हम आदतो से तो,
वर्षो पुराने हो गए है ॥
हम हमेशा से गन्दगी में,
रहना पसंद करते थे ।
आज भी कूड़ा-करकट,
में ही रहा करते थे ॥
हम भारतीय भी गन्दगी पसंद करने में,
चार-प्रकार के होते है ।
अब हम गन्दगी पर ध्यान दिए बिना,
दिन-रात सिर्फ सोते है ॥
कुछ तो अपने बारे में,
भी नहीं सोचते है ।
गंदे कपडे और गन्दगी ,
अंदर-बाहर कूड़े भरे होते है ।।
कुछ लोग खुद तो,
साफ रहा करते है ।
लेकिन गली और कूचे,
गन्दगी से भरे होते है ।।
दसरे लोग घर-आँगन,
तो साफ रखते है ।
लेकिन गली और कूंचे,
गन्दगी से भरे होते है ॥
बहुत जी लिया,
खुद के लिए ।
मै देश के लिए,
अब जीना चाहता हूँ ॥
अब हम मिलकर,
भारत को स्वच्छ बनाएंगे ।
फिर पुरे विश्व के लिए,
विश्व-गुरु बन जायेंगे ॥
विश्व की नजरो में,
अपना स्थान बनाएंगे ।
लोग हमारे निर्मलता और स्वच्छता,
का गान गाएंगे ॥
आओ हम सब मिलकर करें,
एक स्वच्छ और सुन्दर भारत का निर्माण ।
यहाँ के स्वच्छ गली, सड़क और कूचे,
बढ़ाये इस भारत देश का नाम ॥
हद हो गयी है ।
देश तो वही है,
लेकिन लोग नए है ॥
हमारा शरीर तो,
भले ही नया है ।
लेकिन हम आदतो से तो,
वर्षो पुराने हो गए है ॥
हम हमेशा से गन्दगी में,
रहना पसंद करते थे ।
आज भी कूड़ा-करकट,
में ही रहा करते थे ॥
हम भारतीय भी गन्दगी पसंद करने में,
चार-प्रकार के होते है ।
अब हम गन्दगी पर ध्यान दिए बिना,
दिन-रात सिर्फ सोते है ॥
कुछ तो अपने बारे में,
भी नहीं सोचते है ।
गंदे कपडे और गन्दगी ,
अंदर-बाहर कूड़े भरे होते है ।।
कुछ लोग खुद तो,
साफ रहा करते है ।
लेकिन गली और कूचे,
गन्दगी से भरे होते है ।।
दसरे लोग घर-आँगन,
तो साफ रखते है ।
लेकिन गली और कूंचे,
गन्दगी से भरे होते है ॥
बहुत जी लिया,
खुद के लिए ।
मै देश के लिए,
अब जीना चाहता हूँ ॥
अब हम मिलकर,
भारत को स्वच्छ बनाएंगे ।
फिर पुरे विश्व के लिए,
विश्व-गुरु बन जायेंगे ॥
विश्व की नजरो में,
अपना स्थान बनाएंगे ।
लोग हमारे निर्मलता और स्वच्छता,
का गान गाएंगे ॥
आओ हम सब मिलकर करें,
एक स्वच्छ और सुन्दर भारत का निर्माण ।
यहाँ के स्वच्छ गली, सड़क और कूचे,
बढ़ाये इस भारत देश का नाम ॥
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