poem on swachta in hindi
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रहा ना जल पीने लायकवायु ना जीने लायकभूमि भी हो गयी है बंझरकैसा है ये मंझर ?
कान फोड़ती आवाजों काफैला घातक शोरउर्वरकों की बीमारी काभूमि में है जोर
पानी बिजली कि बर्बादीनित बढ़ती ये आबादीकूड़ेदान बनी ये नदियाँकलुषित हुयी ये पूरवईयां
लुप्त हो रहे वन जंगललुप्त हो रहे प्राणीलुप्त हो रही है नदियाँऔर लुप्त हो रही धानी.
जल, वायु और ये भूमिकुछ भी स्वच्छ अब रहा नहींरोग मिल रहे ऐसेऐसे जिनकी कोई दवा नहीं.
कान फोड़ती आवाजों काफैला घातक शोरउर्वरकों की बीमारी काभूमि में है जोर
पानी बिजली कि बर्बादीनित बढ़ती ये आबादीकूड़ेदान बनी ये नदियाँकलुषित हुयी ये पूरवईयां
लुप्त हो रहे वन जंगललुप्त हो रहे प्राणीलुप्त हो रही है नदियाँऔर लुप्त हो रही धानी.
जल, वायु और ये भूमिकुछ भी स्वच्छ अब रहा नहींरोग मिल रहे ऐसेऐसे जिनकी कोई दवा नहीं.
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