English, asked by abdulrasibansari11, 6 days ago

poem on swami Vivekananda​

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Answered by gagandeepkharb93
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Answer:

वेकानंद पर कविता

अंधेरों में रहने वाला,

उजालों की बात कर लूं ,

अपने हॄदय के कोटर में ,

स्वाभिमान भर लूं ।

सोए युवाओं को मैं राष्ट्रीय स्वर दूं ,

डगमग भंवर में नैया पतवार इनको कर दूं ।।

उठो युवाओ – – उठो किशोरों,

तुम्हें राष्ट्र आह्वान दे रहा ।

भारत- मां का मैला आँचल ,

तुम्हें करुण आवाज़ दे रहा ।

देखो सीमाओं पर अपनी ,

चीन-पाक है आँख दिखाता ।

भक्त सिंह का देश आज ,

हाथों में चूड़ी स्वांग रचाता ।

सेनाएं सीमा पर देखो ,

खेल रहीं हैं खूनी होली ।

मगर हमारे दिग्गज नेता ,

सजा रहे भाषण रंगोली ।

राजनीति में सत्ता- लोलुप ,

स्वाभिमान को क्या पहचानें ।

विश्व- पटल पर भारत लज्जित ,

यह तो वोट-बैंक पहचानें ।

उठो विवेकानंद सपूतो ,

भारत- मां के लाल उठो ।

थाम तिरंगे को हाथों में ,

अरि की छाती चीर उठो ।

शक्तिशाली शत्रु को केवल ,

वज्रपात समझा सकता है ।

सेना सर्व श्रेष्ठ है अपनी ,

शासनादेश फुसला सकता है

इच्छा-शक्ति राष्ट्र की दुर्बल

सांप सूंघ गया ज्यों इसको ।

तुम्ही झिंझोडो युवा शक्ति बन

संजीवनी- वोट से इसको ।

कर्णधार स्वाभिमान को भूले,

राणा प्रताप की याद दिलाओ

इतिहास भूल बैठे हैं नेता ,

आजादी का पाठ पढ़ाओ ।

भारत- मां के युवा सपूतों ,

विवेकानंद की नव आशाओं।

सौगंध आर्य संस्कृति की तुमको ,

घर-घर वैदिक संस्कृति लाओ

हम हिन्दू हैं कहो गर्व से ,

निज भाषा हिन्दी अपनाओ ।

ग्राम- वासिनी भारत – माता ,

वहां ज्ञान के दीप जलाओ ।

विवेकानंद की पुण्यतिथि पर,

भारत को उत्कृष्ट बनाओं ।

उनके सपनों के भारत की ,

ध्वजा पथिक जग में फहराओ ।।

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