Hindi, asked by vishalbhandari, 1 year ago

poem on swatch bharat

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Answered by nainitha9797
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स्वतंत्रता  के  बिना  ज़िन्दगी  खली  खली  सी  लगती  है 
स्वतंत्रता  हो  पैर  बंदिश  न  हो  तो  ज़िन्दग  बेगानी  सी  लगती  है 
दोनों  मिले  तो  जिंदगी  सुहानी  लगती  है 
स्वतंत्रता  और  गरीबी  का  चोली  दमन  का  साथ  है 
इसमें  इससे  इससे  लोगो  का  हाथ  है 
जो  कहलाते  देश  के  नाथ (मास्टर ,नेता ) है 
भारत  में  कर्म  को  ही  धर्म  बताते  है 
किन्तु अब धर्म के  नाम  पे  ही  कुकरम  किये  जाते  है 
पहले  देश  को  धर्म  बोला  जाता  था 
अब  धर्म  को  देश  बोला  जाता  है 
नोजवानो  का  खून  गरम  करके  देश  को  उसमे  खोला  जाता  है 
राजनीती  में  रह  गया  राज  खत्म  हुई  नीति 
समस्याएं  बढ़  रही  है  जैसे  हो  बनिए  की  मीठी (इंटरेस्ट ,ब्याज ) 
लगता  है  जैसे  बुराई  ने  सचाई  से  लड़ाई  है  जीती 
हमें  इस  भरम  को  बदलना  है 
हमें  इस  गरम  खून  से  भारत  के  घ्हवो  को  मर्म  लगाना  है 
मर  मिटेंगे  और  करते  है  अपने  परं  को  सुरु 
भारत  को  बनाएंगे फिर  से  विश्व  गुरु 
मेरा  भारत  महान


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