poem on teacher for the teacher day in notebook
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this is my poem I wrote last year
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अजब-गजब का ज्ञानी प्राणी, संसार में है जी टीचर।
रोब क्लास में ऐसे झाड़े, जैसे हो मिनिस्टर।।
आवाज सुन थर्राते बच्चे, जपते प्रभु का नाम।
क्या मूड है मास्टरजी का, जान ना पाते अनजान।।
जान ना पाते अनजान, सो जल्दी जल्दी याद करो।
आज तो काश ना आये, सब ईश्वर पर विश्वास धरो।।
विश्वास करो उस गॉड पर, जिसने टीचर को बनाया।
भूल जाता बनाना जो पहले डंडा उसने होता खाया
Explanation:
kaise hai poem
HAHHAAAAAAAAAAAAAA
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