Hindi, asked by lavneetseth1978, 2 months ago

poem on traveling in train in hindi​

Answers

Answered by luv008
1

Answer:

एक दिन हम भारी भीड़-भरी

भारतीय रेल में चढ़े

चढ़े क्या, चढ़ाए गए

कई कन्धों पर धरकर

भीतर सरकाए गए।

भीड़ का ये हाल था

मत पूछिए, कमाल था

सीट पर भी आदमी थे

बर्थ पर भी आदमी थे

और तो और

छत पर भी आदमी थे

वो तो रेल वालों ने

उससे ऊपर कोई जगह ही नहीं बनाई

वरना आदमी वहां भी होते भाई।

कौन जाने किस पर पड़ा था

कौन जाने किस पर पड़ा था

आदमी से आदमी सटा खड़ा था

सब एकसाथ सांस ले रहे थे

एकसाथ सांस छोड़ रहे थे

जो भी सांस लेने में

जरा गड़ाबड़ा जाता था

उसे फौरन एक झटका लग जाता था।

और हमारे आगे वाला व्यक्ति

और हमारे आगे वाला व्यक्ति

तो शायद गैस का मरीज था

और पता नहीं क्या खा के आया था

कि सारे वातावरण में

भारी प्रदूषण फैलाया था,

हमसे वहां खड़ा ही नहीं हुआ जाता था

क्योंकि हर पंद्रह मिनट बाद

एक गैस कांड हो जाता था।

एक जगह ट्रेन ने आठ घंटे का

एक जगह ट्रेन ने आठ घंटे का

समय गुजार डाला

तो एक नए-नए दूल्हे से

बर्दाश्त नहीं हुआ वो गड़बड़-घोटाला

फाैरन जाकर ड्राइवर से बोला-

“भाई साहब!

अगर आप गाड़ी

इसी तरह चलाते जाएंगे

तो हम तो मारे जाएंगे

हम तो अपने स्टेशन पर

अपनी दुल्हन और एक-आध

बच्चे समेत ही उतर पाएंगे!”

एक व्यक्ति बोला- “भाई साहब!

मेरे मामा के फूफाजी ने

मुझे कल ही

एक कंपनी में नौकरी दिलवाई है

वो मुझे परसों

आगरे में ज्वॉइन करवाएंगे”

दूल्हा बीच में ही चिढ़कर बोला-

“वहां तो आप

रिटायरमेंट के टाइम ही पहुंच पाएंगे।”

एक पुलिसवाला

एक पुलिसवाला

अपने साथ के कैदी से बोला-

“भई! अब तो तुम सीधे

अपने घर ही चले जाना

अब तुम्हें जेल में क्या ले जाना!

ये ट्रेन न मालूम कब तक पहुंचाएगी

तुम्हारी छह महीने की सजा थी

मुझे लगता है ट्रेन में ही पूरी हो जाएगी!”

 

Similar questions