poem on varanasi in hindi
Answers
Answer:
poem on varanasi is given above.
Answer:
सर से लेकर पांव तलक, तू पूरा शहर बनारस है !
तेरे छुवन से कितने कनक हुए, तेरे हांथ जैसे पारस हैं !
तेरे आंखों में है गजब मस्ती, गजब है इनकी ठाट !
इनमें बसी लहरें गंगा की, ये हो जैसे चौरासी घाट !
ये तेरी उलझी हुई लटें, यूं करें हवा में अठखेलियां !
कोई कैसे ना गुम हो जाए,ये लगे बनारस की गलियां !
तेरी सादगी की क्या मिशाल दूं, तू तो गंगाजल सी पावस है
सर से लेकर पांव तलक,तू पूरा शहर बनारस है !
तू बोले तो लगे जैसे बिस्मिल्लाह की शहनाई हो
तेरी बातें मन को निर्मल कर दें, जैसे तुलसी की चौपाई हो
तेरी चटक चांदनी से रौशन लगे शहर, चाहे रात अमावस है
सर से लेकर पांव तलक, तू पूरा शहर बनारस है !
"शैल" तुझमे यूं खोया, जैसे भटका हुआ मुसाफिर हो !
रहने वाला इसी शहर का, फिर भी जैसे काफिर हो
खाक हो जाऊं कि मुझको मोक्ष मिले, तेरे प्रेम की ऐसी तापस है
सर से लेकर पांव तक, तू पूरा शहर बनारस है !