Poem on Visionary of Modern India: Pandit Madan Mohan Malaviya in Hindi
Answers
आधुनिक भारत के दूरदर्शी
कौन थे वो ? एक शिक्षक ?
जिसने एक बुरि शिक्षा प्रणाली मिटाना की ओर किया विचार
जिसने रखा देश की शिक्षा के लिए एक भारतीय तरीके का नया आधार
जिसने पुनर्जीवन दिया देश की प्राचीन, भूली हुई परम्पराओं को
जिसने उल्लेख किया हमारी सम्पूर्णता में हमारी संस्कृति की ज़रुरत
जिसने स्थापित किया एक ऐसा विश्वविद्यालय, जिस्पन हो भारत को नाज़
कौन थे वो ? एक नि: स्वार्थ ‘ सन्यासी ’ ?
जिसने देश की सेवा के लिए अपनी सारी कमाई एक पल में त्याग दी
जिसने शिक्षा प्रदान करने के आग्रण में अपनी निजी सामान तक नीलाम कर दी
जिसने विश्वविद्यालय के लिए स्वर्ग से पातळ तक दरवाज़े खट – खटाए
जिसने उखाड़ फेंका उस शिक्षा के माध्यम को, जिसका उद्देश्य था गुमराह करना
जिसने देशभक्ति और जीवन – शैली में देखा हमारे लिए सहजीवन
कौन थे वो ? एक दूरदर्शी?
जिसने देखे स्वप्न की फिर से हो भारत की शिक्षा तक्षशिला और नालंदा समान
जिसने देखा हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई और पारसियों का बलिदान समान
जिसने बदलनी चाही हिन्दू समाज की दमनकारी आदतों को
जिसने हर वक्त उठाया सामाजिक सुधारों का प्रश्न
जिसने मरते दम तक किया अपने मर्त्रुभूमि के लिए काम
दूरदर्शी थे वो
दूरदर्शी थे वो
दूरदर्शी थे वो
आधुनिक भारत के युगपुरुष थे वो
पंडित मदन मोहन मालवीय,
हमारे ‘ महामाना ’ थे वो
Answer:
कौन थे वो ? एक शिक्षक ?
जिसने एक बुरि शिक्षा प्रणाली मिटाना की ओर किया विचार
जिसने रखा देश की शिक्षा के लिए एक भारतीय तरीके का नया आधार
जिसने पुनर्जीवन दिया देश की प्राचीन, भूली हुई परम्पराओं को
जिसने उल्लेख किया हमारी सम्पूर्णता में हमारी संस्कृति की ज़रुरत
जिसने स्थापित किया एक ऐसा विश्वविद्यालय, जिस्पन हो भारत को नाज़
कौन थे वो ? एक नि: स्वार्थ ‘ सन्यासी ’ ?
जिसने देश की सेवा के लिए अपनी सारी कमाई एक पल में त्याग दी
जिसने शिक्षा प्रदान करने के आग्रण में अपनी निजी सामान तक नीलाम कर दी
जिसने विश्वविद्यालय के लिए स्वर्ग से पातळ तक दरवाज़े खट – खटाए
जिसने उखाड़ फेंका उस शिक्षा के माध्यम को, जिसका उद्देश्य था गुमराह करना
जिसने देशभक्ति और जीवन – शैली में देखा हमारे लिए सहजीवन
कौन थे वो ? एक दूरदर्शी?
जिसने देखे स्वप्न की फिर से हो भारत की शिक्षा तक्षशिला और नालंदा समान
जिसने देखा हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई और पारसियों का बलिदान समान
जिसने बदलनी चाही हिन्दू समाज की दमनकारी आदतों को
जिसने हर वक्त उठाया सामाजिक सुधारों का प्रश्न
जिसने मरते दम तक किया अपने मर्त्रुभूमि के लिए काम
दूरदर्शी थे वो
दूरदर्शी थे वो
दूरदर्शी थे वो
आधुनिक भारत के युगपुरुष थे वो
पंडित मदन मोहन मालवीय,
हमारे ‘ महामाना ’ थे वो