Poem rukna mera kaam nahi chalna meri shaan
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हाथरस : हिम्मत से लक्ष्य प्राप्ति का संकल्प। इस हुनर को अगर सीखना है तो सबक लीजिए उस बीना से, जिसने पति के ठुकरा देने के बाद भी तंगी झेलते हुए पहले तो इकलौती बेटी को पढ़ाया, फिर उसके हाथ पीले किए। पैसे वाली नहीं है ये महिला। साइकिल के जरिये भोर की प्रथम किरण निकलने से रात तक ब्रेड आदि की सप्लाई कर मुकाम को हासिल किया है इसने। बिटिया के ससुराल जाने के बाद अकेली रही गई तो क्या? काम से उसका सदा नाता रहा। काम ही उसका साथी है। चिंता नहीं है उसे किसी की, वह भली और उसकी साइकिल। काम..तो बस करते ही जाना है जब तक जिंदगी है।
मोहल्ला सीयल में जन्मी बीना शर्मा उर्फ बुआ इंटर पास है। शादी बुर्जवाला कुआं क्षेत्र में हुई। एक साल भी नहीं बीता कि पति ने ठुकरा दिया। बीना को गर्भावस्था में छोड़कर पति फरीदाबाद चला गया और दूसरी शादी कर ली। बीना ने बेटी बबली को जन्म दिया। इसके बाद भी वह किसी के आगे नहीं झुकी, न किसी पर बोझ बनी। खुद ही मेहनत शुरू कर दी। स्वेटर बुने, रेडीमेड कपड़ों का काम किया। इसके बाद दिल्ली से चाय की पत्ती लाकर साइकिल से ही दुकानों पर बेचना शुरू कर दिया। अब इगलास अड्डे से बेकरी खरीदकर उसे दुकानों पर बेचती है। इसी से बेटी को पढ़ाया और उसकी शादी की।