Hindi, asked by mfkhan786agra, 1 month ago

Poem - साखी
1. गुरु गोबिंद' दोऊ खड़े काके लागू पायें।
बलिहारी गुरु आपनो, जिन गोबिंद दियौ बताय।।
2. जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि हैं मैं नाहि।
प्रेम गली अति साँकरी', तामे दो न समाहि ।। 3.काँकर पाथर जोरि कै, मसजिद लई बनाय।
ता चढ़ि मुल्ला बाँग दे, क्या बहरा हुआ खुदाय।।
4. पाहन पूजे हरि मिले, तो मैं पूनँ पहार।
सत्यताते ये चाकी भली पीस खाय संसार।।
5. सब धरती कागद करौं, लेखनि सब बनराय।
सात समंद की मसि करौं, गुरु गुन लिखा न जाय।।


-कबीरदास​

Please explain the full poem​

Answers

Answered by swaruphedaoo2007
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sorry Israel answer apko hi likhna hoga

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