Poems in Hindi written by swami Vivekananda
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वह ‘नरेन‘ से बना ‘विवेकानंद‘ तभी इस जग ने जाना,
इनकी प्रतिभा, इनकी मेधा का सबने लोहा माना,
इन्होंने इस दुनिया को बतलाया – एक देश है भारत भी।
‘भाई – बहन का संबोधन जब इस जग ने पहली बार सुना,
अमरीका की धर्म-सभा का गूँज उठा कोना-कोना,
थमी नहीं तालियाँ देर तक, उसकी ऐसी धाक जमी।
गीता नहीं, देश के युवक ! पहले तुम फुटबाल चुनो,
मन में संवेदना जगाओ, तन से तुम चट्टान बनो,
वह कहते थे – ऐसे युवकों से ही इस देश सूरत बदलेगी।
लोट-पोट हो गए वे रेत में ज्यों अपने जहाज से उतरे,
अपनी माँ से लिपटे ऐसे जैसे की बालक बरसों से बिछड़ा,
उनकी पूजा और अर्चना थी बस भारत माता ही।
भारत की संस्कृति के ध्वज को जिसने यूँ फहराया हो,
जिसके कारण स्वाभिमान जन-मानस में गहराया हो,
आओ मिलजुल आज मनाएँ उनकी पावन जन्म तिथि।
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