Hindi, asked by aadikarki123, 11 months ago

Poems of munshi premchand

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Answered by king007
2

Answer:

क़लम के जादूगर!

अच्छा है,

आज आप नहीं हो|

अगर होते,

तो, बहुत दुखी होते|

आप ने तो कहा था

कि, खलनायक तभी मरना चाहिए,

जब,

पाठक चीख चीख कर बोले,

मार – मार – मार इस कमीने को|

पर,

आज कल तो,

खलनायक क्या?

नायक-नायिकाओं को भी,

जब चाहे ,

तब,

मार दिया जाता है|

फिर जिंदा कर दिया जाता है|

और फिर मार दिया जाता है|

और फिर,

जनता से पूछने का नाटक होता है-

कि अब,

इसे मरा रखा जाए?

या जिंदा किया जाए?

सच,

आप की कमी,

सदा खलेगी –

हर उस इंसान को,

जिसे

मुहब्बत है,

साहित्य से,

सपनों से,

स्वप्नद्रष्टाओं,

समाज से,

पर समाज के तथाकथित सुधारकों से नहीं|

हे कलम के सिपाही,

आज के दिन

आपका सब से छोटा बालक,

आप के चरणों में

अपने श्रद्धा सुमन,

सादर समर्पित करता है |

Explanation:

this is the poem of Mumbai Premchand hope this is helpfull

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