Poems on moon and earth in hindi.
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POEM ON MOON
चंदा मामा हमें बताओ
रोज कहाँ से आते हो
कभी थाली से गोल दिखते हो
कभी हँसिया हो जाते हो।
वैसे तो तुम रोज ही आते
कभी-कभी छुप जाते हो।
मेरा मन करता है मामा
पास तुम्हारे आऊँ मैं
नहीं जानता इसके लिए
क्या तरकीब लड़ाऊँ मैं।
POEM ON EARTH
धरती गोल और घूमते जाए
हम घूमे तो चक्कर आएँ
इस धरती का इक भी चक्कर
पैदल चलें तो लगा ना पाएँ
किताब में देखी जैसी धरती
स्कूल के बाहर नजर ना आए
इतनी बड़ी धरती रानी पर
हम सब बच्चे दौड़ लगाएँ
यही काम है अपने बस का
धरती पर सब दौड़ लगाएँ
चंदा मामा हमें बताओ
रोज कहाँ से आते हो
कभी थाली से गोल दिखते हो
कभी हँसिया हो जाते हो।
वैसे तो तुम रोज ही आते
कभी-कभी छुप जाते हो।
मेरा मन करता है मामा
पास तुम्हारे आऊँ मैं
नहीं जानता इसके लिए
क्या तरकीब लड़ाऊँ मैं।
POEM ON EARTH
धरती गोल और घूमते जाए
हम घूमे तो चक्कर आएँ
इस धरती का इक भी चक्कर
पैदल चलें तो लगा ना पाएँ
किताब में देखी जैसी धरती
स्कूल के बाहर नजर ना आए
इतनी बड़ी धरती रानी पर
हम सब बच्चे दौड़ लगाएँ
यही काम है अपने बस का
धरती पर सब दौड़ लगाएँ
Anonymous:
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