Hindi, asked by anshugoel4u, 5 hours ago

poems on nature's beauty in hindi atleast 3 paragraphs​

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Answered by AyaanJain
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Poem

Explanation:

संभल जाओ ऐ दुनिया वालो

वसुंधरा पे करो घातक प्रहार नही !

रब करता आगाह हर पल

प्रकृति पर करो घोर अत्यचार नही !!

लगा बारूद पहाड़, पर्वत उड़ाए

स्थल रमणीय सघन रहा नही !

खोद रहा खुद इंसान कब्र अपनी

जैसे जीवन की अब परवाह नही !!

लुप्त हुए अब झील और झरने

वन्यजीवो को मिला मुकाम नही !

मिटा रहा खुद जीवन के अवयव

धरा पर बचा जीव का आधार नहीं !!

नष्ट किये हमने हरे भरे वृक्ष,लताये

दिखे कही हरयाली का अब नाम नही !

लहलाते थे कभी वृक्ष हर आँगन में

बचा शेष उन गलियारों का श्रृंगार नही !

कहा गए हंस और कोयल, गोरैया

गौ माता का घरो में स्थान रहा नही !

जहाँ बहती थी कभी दूध की नदिया

कुंए,नलकूपों में जल का नाम नही !!

तबाह हो रहा सब कुछ निश् दिन

आनंद के आलावा कुछ याद नही

नित नए साधन की खोज में

पर्यावरण का किसी को रहा ध्यान नही !!

विलासिता से शिथिलता खरीदी

करता ईश पर कोई विश्वास नही !

भूल गए पाठ सब रामयण गीता के,

कुरान,बाइबिल किसी को याद नही !!

त्याग रहे नित संस्कार अपने

बुजुर्गो को मिलता सम्मान नही !

देवो की इस पावन धरती पर

बचा धर्म -कर्म का अब नाम नही !!

संभल जाओ ऐ दुनिया वालो

वसुंधरा पे करो घातक प्रहार नही !

रब करता आगाह हर पल

प्रकृति पर करो घोर अत्यचार नही !!

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