Hindi, asked by sathya9653, 1 year ago

poems on rain in Hindi for 10th class

Answers

Answered by Aniketastronaut
28
वर्षा बहार सबके मन को लुभा रही है ।
उमड़-घुमड़ कर काले बदरा छा रहे है ।।

चपला भी चमक कर रोशनी बिखेर रहे है ।
गुड़-गुड़ कर के बादल भी गरज रहे है ।।

ठंडी-ठंडी हवा चल रही मन को भा रही है ।
बागों में लताओं पर फूल खिल रहे है ।।

मदमस्त मोर पीहू पीहू करके नाच रहा है ।
कोयल भी मस्त राग सुना रही है ।।

मेंढक भी प्यारे संगीत गा रहे है ।
बाज भी बादलों के ऊपर उड़ान भरकर इतरा रहा है ।।

कल कल करती नदियां, इठलाती हुई बह रही है ।
मानो कोई नया संगीत सुना रही है ।।

बागों में फूल खिल रहे, सुगंध मन को भा रही है ।
सावन में झूले पर झूल रही है बिटिया ।।

वर्षा बहार भू पर जीवन की ज्योति जला रही है ।
वर्षा बहार सबके मन को लुभा रही है ।।

– नरेंद्र वर्मा

(2) Varsha Ke Swagat me – Rain Poem in hindi

वर्षा के स्वागत में तोते
उड़ते नभ में खुश होते

सारस ऊंची टेर लगाते
दूर -दूर तक उड़ते जाते

कुहू-कुहू कर रहे पपीहे
नव साहस भर रहे पपीहे

रही न पीछे कहीं टिटहरी
सखी बनी वर्षा की गहरी

बता रहे बच्चे बकरी के
उछल-कूद के नए तरीके

फुदक रही चिड़िया की टोली
बादल है सबके हमजोली

ताक रही बच्चो की बारी
नाव चलाने की तैयारी

बादल बरसे लगा ठहाके
आसमान में बगुले झांकें

– डॉ. जगदीशचंद्र शर्मा

(3) Varsha Ritu Poem in Hindi – Varsha Aayi Bhaar Aayi

वर्षा आई बहार आयी,
प्रकृति ने अपनी कृपा बरसाई ।
पेड़ पौधों में हरे भरे रंगों में रंग कर अपनी खुशी दर्शाई ।।

वर्षा आई बहार आयी,
किसानों के लिए लहराती फसल का संकेत लाई ।
प्रेमियों के मन में प्रेम की ज्योत जलाई ।।

वर्षा आई बहार आयी,
मन आनंद से झूम उठा ।
वह प्रफुल्लित हो कर खुशियों से फूल उठा ।।

वर्षा आई बहार आयी,
जीवन का सारा दुख दर्द ना जाने कहां गुम हो गया ।
वर्षा आई बहार आयी ।।

– विष्णु

(4) Rimjhim – Rimjhim si Bunde jag ke Aangan Aayi Poem in Hindi

रिमझिम रिमझिम सी बूंदे जग के आंगन में आयी ।
अपने लघु उज्जवल तन में कितनी सुंदरता लायी ।।

मेघों ने गरज-गरज कर मादक संगीत सुनाया ।
इस हरी-भरी संध्या ने हमको उन्मत्त बनाया ।।

सूखी सरिताओं ने फिर सुंदर नवजीवन पाया ।
लघु लहर लहर पर देखो सौंदर्य नाचने आया ।।

वन उपवन पनप गए सब कितने नव अंकुर आए ।
वे पीले पीले पल्लव फिर से हरियाली लाएं ।।

वन में मयूर अब नाचे हंस हंस आनंद मनाएं ।
उनकी छवि देख रही है नव सी घनघोर घटाएं ।।

प्रतिपल हम नाचे खेलें जगजीवन मधुर बनाए ।
अपने छोटे से घर में सुख का संसार बसाएं ।।

– अज्ञात

(5) Barish (Rain) ka Mausam Aaya Poem in Hindi

बारिश का मौसम है आया ।
हम बच्चों के मन को भाया ।।

‘छु’ हो गई गरमी सारी ।
मारें हम मिलकर किलकारी ।।

काग़ज़ की हम नाव चलाएँ ।
छप-छप नाचें और नचाएँ ।।

मज़ा आ गया तगड़ा भारी ।
आँखों में आ गई खुमारी ।।

गरम पकौड़ी मिलकर खाएँ ।
चना चबीना खूब चबाएँ ।।

गरम चाय की चुस्की प्यारी ।
मिट गई मन की ख़ुश्की सारी ।।

बारिश का हम लुत्फ़ उठाएँ ।
सब मिलकर बच्चे बन जाएँ ।।

– दीनदयाल शर्मा
 
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Aniketastronaut: plz
Answered by sushmitha8318
1

Answer:

मुझे  \: भरोसा \:  है  \:  \\ ये \:  काम \:  करेगा

मेघ  \: आये  \: बड़े  \: बन- \: ठन  \: के, \:  सँवर \:  के। \\ </p><p>आगे-आगे  \: नाचती – गाती  \: बयार \:  चली \\ </p><p>दरवाजे- \: खिड़कियाँ  \: खुलने \:  लगी \:  गली-गली \\ </p><p>पाहुन  \: ज्यों  \: आये \:  हों \:  गाँव  \: में \:  शहर \:  के। \\ </p><p>पेड़  \: झुक  \: झाँकने  \: लगे  \: गरदन  \: उचकाये \\ </p><p>आँधी  \: चली,  \: धूल \:  भागी  \: घाघरा  \: उठाये \\ </p><p>बांकीचितवन  \: उठा  \: नदी,  \: ठिठकी, \:  घूँघट  \: सरके। \\ </p><p>बूढ़े़ \:  पीपल \:  ने  \: आगे  \: बढ़  \: कर जुहार \:  की \\ </p><p>‘बरस  \: बाद \:  सुधि  \: लीन्ही’ \\ </p><p>बोली  \: अकुलाई  \: लता  \: ओट  \: हो किवार \:  की \\ </p><p>हरसाया  \: ताल  \: लाया \:  पानी \:  परात  \: भर \:  के। \\ </p><p>क्षितिज  \: अटारी \:  गदरायी \:  दामिनि \:  दमकी \\ </p><p>‘क्षमा  \: करो \:  गाँठ  \: खुल  \: गयी \:  अब  \: भरम  \: की’ \\ </p><p>बाँध  \: टूटा  \: झर-झर  \: मिलन  \: अश्रु \:  ढरके \\ </p><p>मेघ  \: आये  \: बड़े  \: बन-ठन  \: के, \:  सँवर \:  के। \\

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