Poems on summer season in Hindi. Please, I want urgently...
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कम करती है गर्मी की मनमानी को
गहराई ज़िन्दा रखती है पानी को
दूरी आंधी बर्फ़ धूप की बाधाएँ
रोक नहीं सकती सच्चे सैलानी को
याद नहीं रहते या याद नहीं रखते
लोग आजकल संबंधों के मानी को
वाणी द्वारा कम आँखों द्वारा ज़्यादा
व्यक्त किया उसने अपनी हैरानी को
प्रजातंत्र में भी बच्चों के किस्से ही
ज़िंदा रखते हैं राजा या रानी को
लोग आंकड़ों को ही ज्ञान समझ बैठे
कम्प्यूटर जैसा कुछ समझे ज्ञानी को
क्या भूलूँ क्या याद करूँ की उलझन में
अलबम रखते हैं हम याद-दहानी को
Hope it helps !
lishasain09:
I think the title of this poem is not Garmi or Gishma Ritu related.
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hey mate,
here is ur poem
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