polloution is too much chlo mil kr steps uthate h ise km krte h
Answers
answer:
पर्यावरण को प्रदूषित करने वाले प्रमुख पदार्थ हैं-
1. जमा हुए पदार्थ जैसे- धुआं, धूल, ग्रिट, घर आदि।
2. रासायनिक पदार्थ जैसे – डिटर्जेंट्स, आर्सीन्स, हाइड्रोजन, फ्लोराइड्स, फॉस्जीन आदि।
3. धातुएं जैसे- लोहा, पारा, जिंक, सीसा।
4. गैसें जैसे- कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, अमोनिया, क्लोरीन, फ्लोरीन आदि।
5. उर्वरक जैसे- यूरिया, पोटाश एवं अन्य।
6. वाहित मल जैसे- गंदा पानी।
7. पेस्टीसाइड्स जैसे- डी.डी.टी., कवकनाशी, कीटनाशी।
8. ध्वनि।
9. ऊष्मा।
10. रेडियोएक्टिव पदार्थ।
प्रदूषकों के प्रकार (Types of Pollutants)
प्रदूषक मुख्य दो प्रकार के हैं।
1. अक्षयकारी प्रदूषक (Non-Degradable Pollutants)- इनके अंतर्गत वे प्रदूषक आते हैं, जो या तो अपघटित नहीं होते या प्रकृति में इनका निम्नीकरण (Degradation) बहुत धीमी गति से होता है। जैसे –एल्यूमीनियम, मरक्यूरिक लवण, लंबी श्रृंखला वाले फेनोसिक्स तथा D.D.T. आदि।
2. जैव निम्नीकरण या क्षयकारी योग्य प्रदूषक (Biodegradable Pollutants)- यह घरेलू उपार्जक पदार्थ होते हैं, जिनका विघटन प्रकृति में आसानी से हो जाता है। जब ये पदार्थ एकत्रित हो जाते हैं, तब अनेक समस्याएं उत्पन्न करते हैं।
प्रदूषण के प्रकार (Types of Pollutions)
प्रदूषण निम्न प्रकार के होते हैं-
1. वायु प्रदूषण,
2. जल प्रदूषण,
3. ध्वनि प्रदूषण,
4. मृदा प्रदूषण,
5 रेडियोधर्मी प्रदूषण,
6. तापीय प्रदूषण,
7. समुद्री प्रदूषण।
वायु प्रदूषण के नियंत्रण के उपाय (Controlling Measures of Air Pollution)- वायु प्रदूषण की रोकथाम एवं नियंत्रण के लिए निम्नलिखित विधियां अपनाई जाती हैं-
1. मानव जनसंख्या वृद्धि को रोकने का प्रयास करना चाहिए।
2. नागरिकों या आम जनता को वायु प्रदूषण के कुप्रभावों का ज्ञान कराना चाहिए।
3. धुम्रपान पर नियंत्रण लगा देना चाहिए।
4. कारखानों के चिमनियों की ऊंचाई अधिक रखना चाहिए।
5. कारखानों के चिमनियों में फिल्टरों का उपयोग करना चाहिए।
6. मोटरकारों और स्वचालित वाहनों को ट्यूनिंग करवाना चाहिए ताकि अधजला धुआं बाहर नहीं निकल सकें।
7. अधिक-से-अधिक वृक्षारोपण करना चाहिए।
8. उद्योगों की स्थापना शहरों एवं गांवों से दूर करनी चाहिए।
9. अधिक धुआं देने वाले स्वचालितों पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए।
10. सरकार द्वारा प्रतिबंधात्मक कानून बनाकर उल्लंघन करने वालों पर कड़ी कार्यवाही करनी चाहिए।
जल प्रदूषण का नियंत्रण (Control of Water Pollution)- जल प्रदूषण पर निम्नलिखित उपायों से नियंत्रण किया जा सकता है-
1. वाहित मल को नदियों में छोड़ने के पूर्व कृत्रिम तालाबों में रासायनिक विधि द्वारा उपचारित करना चाहिए।
2. अपमार्जनों का कम-से-कम उपयोग होना चाहिए। केवल साबुन का उपयोग ठीक होता है।
3. कारखानों से निकले हुए अपशिष्ट पदार्थों को नदी, झील एवं तालाबों में नहीं डालना चाहिए।
4. घरेलू अपमार्जकों को आबादी वाले भागों से दूर जलाशयों मे डालना चाहिए।
5. जिन तालाबों का जल पीने का काम आता है, उसमें कपड़े, जानवर आदि नहीं धोने चाहिए।
6. नगरों व कस्बों के सीवेज में मल-मूत्र, कार्बनिक व अकार्बनिक पदार्थ तथा जीवाणु होते हैं। इसे आबादी से दूर खुले स्थान में सीवेज को निकाला जा सकता है या फिर इसे सेप्टिक टैंक, ऑक्सीकरण ताल तथा फिल्टर बैड आदि काम में लाए जा सकते हैं।
7. बिजली या ताप गृहों से निकले हुए पानी को स्प्रे पाण्ड या अन्य स्थानों से ठंडा करके पुनः उपयोग में लाया जा सकता है।
i hope it's help's you
please mark a brainest answer
Answer:
Chalo thik ...... socho aur btao kya kre......