Hindi, asked by gamingkiller374, 5 months ago

polution and nature essay in hindi

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वर्तमान समय के परिपेक्ष में पर्यावरण प्रदूषण हमारे ग्रह के लिए सबसे महत्वपूर्ण खतरों में से एक है। यह एक वैश्विक मुद्दा है, जिसे आमतौर पर सभी देशों में देखा जाता है। जिसके लिए संसार के सभी देश विचारशील हैं और इसके संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण कदम उठा रहे है।

पर्यावरण के प्रति जागरुकता बढ़ाने और फैलाने के लिए विश्व पर्यावरण दिवस (5 जून), ओजोन दिवस (16 सितंबर), जल दिवस (22 मार्च), पृथ्वी दिवस (22 अप्रैल), जैव विविधता दिवस (22 मई) आदि मनाये जाते हैं।

पर्यावरण को प्रभावित करने वाले हानिकारक पदार्थ और प्रदूषित पर्यावरण प्रदूषण का निर्माण करते हैं। सभी तरह के प्रदूषण जैसे वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, जल प्रदूषण, मिट्टी प्रदूषण, उष्मीय प्रदूषण, रेडियोधर्मी प्रदूषण, और अन्य पर्यावरण प्रदूषण की व्यापक श्रेणी में आते हैं।

पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार

प्रदूषण के प्रभाव निस्संदेह कई और व्यापक हैं। प्रदूषण के अत्यधिक प्रभाव से मानव स्वास्थ्य, पशु स्वास्थ्य, उष्णकटिबंधीय वर्षा-वन आदि को नुकसान पहुंच रहा है। वायु, जल, मिट्टी प्रदूषण आदि सभी प्रकार के प्रदूषणों का पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। निम्नलिखित मुख्य प्रकार हैं-

वायु प्रदुषण – वायु हमारे जीवन के लिए सबसे महत्वपूर्ण घटक है। हम बिना खाये पिये एक दो दिन रह भी सकते हैं, लेकिन बिना श्वास के एक क्षण भी बिताना मुश्किल होता है। और सोचिए अगर जिस वायु से हम सांस लेते है, वही प्रदूषित हो गया तो हमारे लिए कितना विनाशकारी हो सकता है।

जल प्रदूषण - जल प्रदूषण तब होता है जब हानिकारक पदार्थ - जैसे रसायनों या फैक्ट्रियों का अपशिष्ट, नदी, झील, महासागर, जलभृत या पानी के अन्य स्रोत में जाकर मीलते हैं। जब हम इसे पीतें हैं, तो शरीर को दूषित करते हैं, साथ ही पानी की गुणवत्ता को कम करते हैं और इसे मनुष्यों और पर्यावरण के लिए विषाक्त करते हैं।

भूमि प्रदूषण (मृदा प्रदूषण) - मृदा प्रदूषण किसी भी चीज को संदर्भित करता है जो मिट्टी के प्रदूषण का कारण बनता है और मिट्टी की गुणवत्ता को खराब करता है। मृदा प्रदूषण अधिक मात्रा में कीटनाशकों, उर्वरकों, अमोनिया, पेट्रोलियम हाइड्रोकार्बन, नाइट्रेट, नेफ़थलीन आदि रसायनों की उपस्थिति के कारण हो सकता है।

उपसंहार

मानव ने आधुनिकता और वैज्ञानिकता के नाम पर प्रकृति का अत्यधिक दोहन किया है। परिणामस्वरुप हमारी धरती प्रदूषित हो गयी है। आज पूरी की पूरी आबोहवा ही प्रदूषित हो गयी है। न ही पीने के लिए साफ पानी है और न ही सांस लेने के लिए शुध्द हवा। और इसका जिम्मेदार और कोई नहीं केवल और केवल मनुष्य है। मनुष्य प्रजाति ने पेड़ो को काटकर अपने लिए ही समस्या उत्पन्न नहीं की है, अपितु अन्य पशु-पक्षियों से भी उनका निवास छीन लिया है।

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