Hindi, asked by GouravGujjar1, 1 year ago

pome on Bhagat Singh

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Answered by Amaninder24
2
मर्द-ए-मैदां चल दिया सरदार, तेईस मार्च को ।
मान कर फ़ांसी गले का हार, तेईस मार्च को।
आसमां ने एक तूफ़ान वरपा कर दिया,
जेल की बनी ख़ूनी दीवार, तेईस मार्च को।
शाम का था वक्त कातिल ने चराग़ गुल कर दिया,
उफ़ ! सितम, अफ़सोस, हा ! दीदार, तेईस मार्च को।
तालिब-ए-दीदार आए आख़री दीदार को,
हो सकी राज़ी न पर सरकार, तेईस मार्च को।
बस, ज़बां ख़ामोश, इरादा कहने का कुछ भी न कर,
ले हाथ में कातिल खड़ा तलवार, तेईस मार्च को।
ऐ कलम ! तू कुछ भी न लिख सर से कलम हो जाएगी,
गर शहीदों का लिखा इज़हार, तेईस मार्च को।
जब ख़ुदा पूछेगा फिर जल्लाद क्या देगा जवाब,
क्या ग़ज़ब किया है तूने सरकार, तेईस मार्च को।
कीनवर कातिल ने हाय ! अपने दिल को कर ली थी,
ख़ून से तो रंग ही ली तलवार, तेईस मार्च को।
हंसते हंसते जान देते देख कर 'कुन्दन' इनहें,
पस्त हिम्मत हो गई सरकार, तेईस मार्च को।

Have a Nice Time On Brainly!!


Amaninder24: Thanks!
GouravGujjar1: Is OK
Answered by Soñador
2
Dude... first what is pome? If u r asking for a poem... then here are 2...


1. डरे न कुछ भी जहां की चला चली से हम

डरे न कुछ भी जहां की चला चली से हम।
गिरा के भागे न बम भी असेंबली से हम।

उड़ाए फिरता था हमको खयाले-मुस्तकबिल, 
कि बैठ सकते न थे दिल की बेकली से हम।

हम इंकलाब की कुरबानगह पे चढ़ते हैं,
कि प्यार करते हैं ऐसे महाबली से हम।

जो जी में आए तेरे, शौक से सुनाए जा, 
कि तैश खाते नहीं हैं कटी-जली से हम।

न हो तू चीं-ब-जबीं, तिवरियों पे डाल न बल, 
चले-चले ओ सितमगर, तेरी गली से हम।

-अज्ञात
१५ जून १९२९, बन्दे मात्रिम (उर्दू पत्र)-लाहौर



2.  बम चख़ है अपनी शाहे रईअत पनाह से

बम चख़ है अपनी शाहे रईयत पनाह से
इतनी सी बात पर कि 'उधर कल इधर है आज' ।
उनकी तरफ़ से दार-ओ-रसन, है इधर से बम
भारत में यह कशाकशे बाहम दिगर है आज ।
इस मुल्क में नहीं कोई रहरौ मगर हर एक
रहज़न बशाने राहबरी राहबर है आज ।
उनकी उधर ज़बींने-हकूमत पे है शिकन
अंजाम से निडर जिसे देखो इधर है आज ।

-अलामा 'ताजवर' नजीबाबादी
२ मार्च १९३०-वीर भारत
(लाहौर से छपने वाला रोज़ाना अखबार)

hope it helps...


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