Pongal kaise manaya jata hai.
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heya dear....
किसानों का त्यौहार पोंगल मुख्य रूप से दक्षिण भारत में मनाया जाता है। चार दिनों तक मनाया जानेवाला यह त्यौहार कृषि एवं फसल से संबंधित देवता को समर्पित है। पारंपरिक रूप से संपन्नता को समर्पित इस त्यौहार के दिन भगवान सूर्यदेव को जो प्रसाद भोग लगाया जाता है उसे पोगल कहा जाता है, जिस कारण इस त्यौहार का नाम पोंगल पड़ा।
पोंगल (Pongal)
इस वर्ष पोंगल 14 जनवरी, 2018 को मनाया जाएगा।
पोंगल त्यौहार (Festival of Pongal in Hindi)
पोंगल त्यौहार मुख्यतः चार तरह का होता है:
* भोगी पोंगल
* सूर्य पोंगल
* मट्टू पोंगल
* कन्या
पोंगल एक चार दिवसीय त्यौहार है। इसका पहला दिन भगवान इंद्र के सम्मान भोगी महोत्सव के रूप में मनाया जाता है। ऐसा इसीलिए किया जाता है क्यूंकि भगवान् इंद्रा बादलों के सर्वोच्च शासक जो वर्षा देते है। फसल की प्रचुरता के लिए भगवान इंद्र को श्रद्धांजलि दी जाती है जिससे देश में भरपूर धन और समृद्धि मिलती है। इस दिन पर एक और अनुष्ठान मनाया जाता है जिसका नाम है भोगी मंतालू। इस उत्सव में घर के बेकार सामान को लकड़ी और गाय के गोबर की आग से फेंक दिया जाता है। लड़कियां उस आग के चारों ओर नृत्य करती हैं देवताओं की प्रशंसा में गीत गाती हैं।
पोंगल के दूसरे दिन पूजा या कृत्रिम पूजा का कार्य तब किया जाता है जब चावल को मिट्टी के बरतन में घर के बाहर दूध में उबाला जाता है और इसे अन्य दैवीय वस्तुओं के साथ सूर्य-देवता को अर्पण किया जाता है। सभी लोग पारंपरिक पोशाक और चिह्नों को पहनते हैं। एक और रोचक अनुष्ठान यह भी है जहां पति और पत्नी विशेष रूप से पूजा के बर्तनों को बांटते हैं। गांव में पोंगल समारोह साधारण रूप से मनाया जाता है लेकिन उसी भक्ति के साथ। नियुक्त अनुष्ठान के अनुसार एक हल्दी के पौधे को उस बर्तन के चारों ओर बांधा जाता है जिसमें चावलों को उबाला जाएगा। प्रसाद में नारियल और केले के व्यंजन और गन्ने का प्रयोग होता है। प्रसाद के अतिरिक्त पूजा की एक सामान्य विशेषता कोलाम है। कोलाम शुभ डिजाइन है जो पारंपरिक रूप से स्नान के बाद सुबह सुबह घर सफेद चूने के पाउडर में बनाया जाता है।
तीसरे दिन को मट्टू पोंगल के नाम से जाना जाता है और इसे गाय के लिया रखा जाता है। गाय के गले में मोतियों की माला घंटियाँ और फूलों की माला बांधी जाती है और उसकी पूजा की जाती है। उन्हें पोंगल खिलाकर गांव के केंद्रों में लाया जाता है। मवेशियों की घंटियों की आवाज़ ग्रामीणों को आकर्षित और लोग अपने मवेशियों को आपस में दोड़ते हैं। मवेशियों की आरती उतारी जाती है ताकि उनको बुरी नज़र ना लगे। एक कहानी के अनुसार एक बार शिव ने अपने बैल बसवा से पृथ्वी पर जाने के लिए कहा और मनुष्यों से हर रोज तेल मालिश और स्नान करने और एक महीने में एक बार खाने के लिए कहा। अनजाने में बसवा ने घोषणा की कि हर किसी को रोजाना खाना चाहिए और महीने में एक बार तेल से स्नान करना चाहिए। इस गलती ने शिव को क्रोधित किया और उन्होंने बसवा को श्राप दिया की उसे हमेशा के लिए पृथ्वी पर जीवित रहने होगा और लोगों के खेतों में हल चलाना होगा ताकि लोगों को अधिक भोजन पैदा करने में मदद मिल सके। इस प्रकार मवेशियों के साथ इस दिन का सम्बन्ध है।
पोंगल के अंतिम दिन को कैनम पोंगल कहते है। इस दिन हल्दी के पत्ते को धोया जाता है और फिर उसे जमीन पर रखा जाता है। इस पत्ते पर कई प्रकार के खाद्य पदार्थ रखे जाते है जैसे मिठाई चावल सुपारी गन्ना इत्यादि।
पोंगल के मुख्य आकर्षण (Main Attraction of Pongal in Hindi)
पोंगल दक्षिण भारत में बहुत ही जोर शोर से मनाया जाता है। इस दिन बैलों की लड़ाई होती है जो कि काफी प्रसिद्ध है। रात्रि के समय लोग सामूहिक भोज का आयोजन करते हैं और एक दूसरे को मंगलमय वर्ष की शुभकामनाएं देते हैं। इस पवित्र अवसर पर लोग फसल, जीवन में प्रकाश आदि के लिए भगवान सूर्यदेव के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं।
पोंगल Recipe
अप्पम - Appam ( How To Make Appam )
पोंगल दक्षिण भारत का एक अहम पर्व है। चार दिन तक चलने वाले इस पर्व की एक अहम विशेषता इस दौरान बनने वाला भोजन भी है। पोंगल के दूसरे दिन मिट्टी के बर्तन में खीर बनाई जाती है जो बेहद स्वादिष्ट होती है। तो आइयें चलिए आज हम आपको बनाना सीखाते हैं पोंगल के अवसर पर बनने वाली पोंगल खीर और अप्पम को बनाना।
अप्पम बनाने की रेसिपी
अप्पम दक्षिण भारत का मशहूर व्यंजन है। यह बनाने में बेहद आसान है। तो चलिए बनाना सीखें अप्पम।
सामग्री
· चावल: आधा कप पके हुए चावल और दो चम्मच सूखे चावल
· नारियल का दूध: 2 कप
· चीनी: दो छोटे चम्मच
· सूखा खमीर: आधा चम्मच
· नारियल का तेल: दो चम्मच
· नमक: चुटकी भर
1. बनाने की विधि
2. सबसे पहले सूखे चावलों को पानी में भिगों ले। फिर पके हुए चावल और 1/2 कप नारियल का दूध डालकर इसे मिक्सर में पीसकर मुलायम मिश्रण बना लें। इस मिश्रण में अब आपको खमीर डालना है। खमीर को डालने से पहले उसमें थोड़ा गुनगुना पानी डालकर अच्छी तरह मिला लीजिएं। अब इस मिश्रण में चीनी, नमक और बचे हुए नारियल के दूध को डालकर अच्छी तरह मिला से लीजिएं। अब मिश्रण को कुछ देर के लिए ढ़ककर रख दीजिएं।
3. एक नॉन स्टिक तवे पर थोड़ा-सा तेल लगाइएं। फिर चम्मच से घोल को लेकर तवे पर फैलाइएं। इसे इस तरह से फैलाइएं ताकि इसके किनारे पतले हो जाएं और बीच का भाग मोटा रहे। इसे ढ़ककर करीब एक मिनट के लिए पका लीजिएं। लीजिएं आपके स्वादिष्ट अप्पम तैयार हैं। इसे आप सांभर के साथ परोस सकते हैं।
पारंपरिक पोंगल खीर बनाने की विधि
· 250 ग्राम चावल
· 2 चम्मच घी
· 100 ग्राम मूंग की छिलके वाली दाल
· 8-10 काजू और किशमिश
· थोड़ी-सी दालचीनी और इलायची पावडर
· 3-4 लौंग
· गुड़ स्वादानुसार
किसानों का त्यौहार पोंगल मुख्य रूप से दक्षिण भारत में मनाया जाता है। चार दिनों तक मनाया जानेवाला यह त्यौहार कृषि एवं फसल से संबंधित देवता को समर्पित है। पारंपरिक रूप से संपन्नता को समर्पित इस त्यौहार के दिन भगवान सूर्यदेव को जो प्रसाद भोग लगाया जाता है उसे पोगल कहा जाता है, जिस कारण इस त्यौहार का नाम पोंगल पड़ा।
पोंगल (Pongal)
इस वर्ष पोंगल 14 जनवरी, 2018 को मनाया जाएगा।
पोंगल त्यौहार (Festival of Pongal in Hindi)
पोंगल त्यौहार मुख्यतः चार तरह का होता है:
* भोगी पोंगल
* सूर्य पोंगल
* मट्टू पोंगल
* कन्या
पोंगल एक चार दिवसीय त्यौहार है। इसका पहला दिन भगवान इंद्र के सम्मान भोगी महोत्सव के रूप में मनाया जाता है। ऐसा इसीलिए किया जाता है क्यूंकि भगवान् इंद्रा बादलों के सर्वोच्च शासक जो वर्षा देते है। फसल की प्रचुरता के लिए भगवान इंद्र को श्रद्धांजलि दी जाती है जिससे देश में भरपूर धन और समृद्धि मिलती है। इस दिन पर एक और अनुष्ठान मनाया जाता है जिसका नाम है भोगी मंतालू। इस उत्सव में घर के बेकार सामान को लकड़ी और गाय के गोबर की आग से फेंक दिया जाता है। लड़कियां उस आग के चारों ओर नृत्य करती हैं देवताओं की प्रशंसा में गीत गाती हैं।
पोंगल के दूसरे दिन पूजा या कृत्रिम पूजा का कार्य तब किया जाता है जब चावल को मिट्टी के बरतन में घर के बाहर दूध में उबाला जाता है और इसे अन्य दैवीय वस्तुओं के साथ सूर्य-देवता को अर्पण किया जाता है। सभी लोग पारंपरिक पोशाक और चिह्नों को पहनते हैं। एक और रोचक अनुष्ठान यह भी है जहां पति और पत्नी विशेष रूप से पूजा के बर्तनों को बांटते हैं। गांव में पोंगल समारोह साधारण रूप से मनाया जाता है लेकिन उसी भक्ति के साथ। नियुक्त अनुष्ठान के अनुसार एक हल्दी के पौधे को उस बर्तन के चारों ओर बांधा जाता है जिसमें चावलों को उबाला जाएगा। प्रसाद में नारियल और केले के व्यंजन और गन्ने का प्रयोग होता है। प्रसाद के अतिरिक्त पूजा की एक सामान्य विशेषता कोलाम है। कोलाम शुभ डिजाइन है जो पारंपरिक रूप से स्नान के बाद सुबह सुबह घर सफेद चूने के पाउडर में बनाया जाता है।
तीसरे दिन को मट्टू पोंगल के नाम से जाना जाता है और इसे गाय के लिया रखा जाता है। गाय के गले में मोतियों की माला घंटियाँ और फूलों की माला बांधी जाती है और उसकी पूजा की जाती है। उन्हें पोंगल खिलाकर गांव के केंद्रों में लाया जाता है। मवेशियों की घंटियों की आवाज़ ग्रामीणों को आकर्षित और लोग अपने मवेशियों को आपस में दोड़ते हैं। मवेशियों की आरती उतारी जाती है ताकि उनको बुरी नज़र ना लगे। एक कहानी के अनुसार एक बार शिव ने अपने बैल बसवा से पृथ्वी पर जाने के लिए कहा और मनुष्यों से हर रोज तेल मालिश और स्नान करने और एक महीने में एक बार खाने के लिए कहा। अनजाने में बसवा ने घोषणा की कि हर किसी को रोजाना खाना चाहिए और महीने में एक बार तेल से स्नान करना चाहिए। इस गलती ने शिव को क्रोधित किया और उन्होंने बसवा को श्राप दिया की उसे हमेशा के लिए पृथ्वी पर जीवित रहने होगा और लोगों के खेतों में हल चलाना होगा ताकि लोगों को अधिक भोजन पैदा करने में मदद मिल सके। इस प्रकार मवेशियों के साथ इस दिन का सम्बन्ध है।
पोंगल के अंतिम दिन को कैनम पोंगल कहते है। इस दिन हल्दी के पत्ते को धोया जाता है और फिर उसे जमीन पर रखा जाता है। इस पत्ते पर कई प्रकार के खाद्य पदार्थ रखे जाते है जैसे मिठाई चावल सुपारी गन्ना इत्यादि।
पोंगल के मुख्य आकर्षण (Main Attraction of Pongal in Hindi)
पोंगल दक्षिण भारत में बहुत ही जोर शोर से मनाया जाता है। इस दिन बैलों की लड़ाई होती है जो कि काफी प्रसिद्ध है। रात्रि के समय लोग सामूहिक भोज का आयोजन करते हैं और एक दूसरे को मंगलमय वर्ष की शुभकामनाएं देते हैं। इस पवित्र अवसर पर लोग फसल, जीवन में प्रकाश आदि के लिए भगवान सूर्यदेव के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं।
पोंगल Recipe
अप्पम - Appam ( How To Make Appam )
पोंगल दक्षिण भारत का एक अहम पर्व है। चार दिन तक चलने वाले इस पर्व की एक अहम विशेषता इस दौरान बनने वाला भोजन भी है। पोंगल के दूसरे दिन मिट्टी के बर्तन में खीर बनाई जाती है जो बेहद स्वादिष्ट होती है। तो आइयें चलिए आज हम आपको बनाना सीखाते हैं पोंगल के अवसर पर बनने वाली पोंगल खीर और अप्पम को बनाना।
अप्पम बनाने की रेसिपी
अप्पम दक्षिण भारत का मशहूर व्यंजन है। यह बनाने में बेहद आसान है। तो चलिए बनाना सीखें अप्पम।
सामग्री
· चावल: आधा कप पके हुए चावल और दो चम्मच सूखे चावल
· नारियल का दूध: 2 कप
· चीनी: दो छोटे चम्मच
· सूखा खमीर: आधा चम्मच
· नारियल का तेल: दो चम्मच
· नमक: चुटकी भर
1. बनाने की विधि
2. सबसे पहले सूखे चावलों को पानी में भिगों ले। फिर पके हुए चावल और 1/2 कप नारियल का दूध डालकर इसे मिक्सर में पीसकर मुलायम मिश्रण बना लें। इस मिश्रण में अब आपको खमीर डालना है। खमीर को डालने से पहले उसमें थोड़ा गुनगुना पानी डालकर अच्छी तरह मिला लीजिएं। अब इस मिश्रण में चीनी, नमक और बचे हुए नारियल के दूध को डालकर अच्छी तरह मिला से लीजिएं। अब मिश्रण को कुछ देर के लिए ढ़ककर रख दीजिएं।
3. एक नॉन स्टिक तवे पर थोड़ा-सा तेल लगाइएं। फिर चम्मच से घोल को लेकर तवे पर फैलाइएं। इसे इस तरह से फैलाइएं ताकि इसके किनारे पतले हो जाएं और बीच का भाग मोटा रहे। इसे ढ़ककर करीब एक मिनट के लिए पका लीजिएं। लीजिएं आपके स्वादिष्ट अप्पम तैयार हैं। इसे आप सांभर के साथ परोस सकते हैं।
पारंपरिक पोंगल खीर बनाने की विधि
· 250 ग्राम चावल
· 2 चम्मच घी
· 100 ग्राम मूंग की छिलके वाली दाल
· 8-10 काजू और किशमिश
· थोड़ी-सी दालचीनी और इलायची पावडर
· 3-4 लौंग
· गुड़ स्वादानुसार
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