post office hindi nibandh
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डाकघर हमारे लिए बहुत मददगार है। यह हमें कई तरह से मदद करता है। डाकघर के माध्यम से हम अपने पत्र भेजते हैं और प्राप्त करते हैं। यह भारतीय डाक विभाग की एक शाखा है। पूर्व में कोई डाकघर नहीं था। पत्रों को पूरे देश में दूतों के माध्यम से भेजा और प्राप्त किया गया। दूरी अधिक होने के कारण यह महंगी चीज थी। लेकिन वर्तमान में, हम उस तरह की कठिनाई का सामना नहीं करते हैं।
ग्रेट ब्रिटेन के लॉर्ड डलहौजी द्वारा 1963 में भारत में पेनी-डाक की शुरुआत की गई थी। उस दिन के बाद से सब कुछ बदल गया है। भारत सरकार द्वारा पोस्ट ऑफिस चलता है। इतने सारे कर्मचारी जैसे पोस्ट मास्टर, पोस्ट चपरासी, आदि पोस्ट ऑफिस में कार्यरत हैं। वे हमारे काम में इतनी मदद करते हैं।
बेहतर सुविधा के लिए पोस्ट ऑफिस को उपयुक्त स्थान पर रखा गया है। डाकघर के सामने एक पोस्ट बॉक्स लटका हुआ है। जनता अपने पत्रों को इस बॉक्स में डालती है। चपरासी ने चिट्ठी को बॉक्स से निकाला और पैक किया। फिर यह पैकेज डाक विभाग के प्रधान कार्यालय को भेजा जाता है। वहां, अक्षरों को उस जगह के अनुसार अलग किया जाता है जहां उन्हें भेजा जाना है। डाकघर में पोस्ट टिकट, मनी ऑर्डर फॉर्म आदि बेचे जाते हैं। लोग डाकघर में भी अपना पैसा बचाते हैं। इस प्रकार डाकघर एक महान कार्य करता है।
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सरकार अपने विभिन्न विभागों के माध्यम से जनसेवा के कार्य संपन्न करती है । विभाग दो प्रकार के होते हैं- प्रमुख और गौण । शिक्षा, आयकर, आबकारी आदि गौण विभाग हैं ।
यदि इन विभागों के कर्मचारी अपनी माँग पूरी कराने के लिए किसी समय हड़ताल कर दें तो कुछ दिनों तक सरकारी कार्य चलना रहना है । रेलवे, सेना, पुलिस आदि प्रमुख और अत्यंत आवश्यक विभाग हैं । इनके कर्मचारियों के किसी कारण हड़ताल करने पर जनसेवा का सारा काम ठप हो जाता हें । डाक विभाग भी ऐसा ही प्रमुख विभाग है । इसके कार्यों में रुकावट आने पर सरकार अपंग हा जाना है ।
राज्यों की राजधानी में डाक विभाग का एक प्रादेशिक कार्यालय होता है । राज्य के विभिन्न छोटे-बड़े स्थानों में स्थापित डाकघर उसी की देखरेख में कार्य करते हैं । बड़े-बड़े नगरों में एक प्रधान डाकघर होता है । उसके अंतर्गत नगर के स्थानों में अनेक छोटे-बड़े डाकघर होते हैं । बड़े-बड़े कस्बे और ग्रामों में केवल एक डाकघर होता है । डाकघर के प्रमुख अधिकारी को ‘पोस्ट मास्टर’ कहते हैं ।
डाकघरों में पोस्ट मास्टर के अतिरिक्त आवश्यकतानुसार डाकिया होते हैं । नगर के उप-डाकघरों में पोस्ट मास्टर की सहायता के लिए एक अथवा दो कर्मचारी रहते हैं, किंतु बड़े और प्रमुख डाकघरों में डाक संबंधी विभिन्न प्रकार के कार्यों के लिए कई कर्मचारी होते हैं । प्रत्येक डाकघर दस बजे खुलता है और पाँच बजे बंद हो जाता है ।
डाकघर का प्रमुख कार्य है- बाहर से आई हुई डाक, पार्सल, मनीऑर्डर, पत्र आदि को पावती के घरों तक पहुँचाना और उस स्थान की डाक को बाहर भेजने की व्यवस्था करना, जिसमें वह स्थित है । कस्बों के डाकघरों में कार्य-भार अधिक नहीं होता, इसलिए दोनों कार्य वहाँ के डाकिए एक साथ ही साथ लेते हैं । नगर के प्रमुख तथा केंद्रीय डाकघरों में कार्य-भार अधिक होता है, इसलिए वहाँ दोनों प्रकार के कार्यों के अलग-अलग उप-विभाग होते हैं ।
एक उप-विभाग बाहर से आई हुई डाक को नगर में वितरण कराने का कार्य करता है और इसके साथ ही नगर के विभिन्न स्थानों में स्थापित पत्र-पेटिकाओं में संगृहीत पत्रों तथा उप-डाकघरों से आए हुए रजिस्टर्ड पत्रों, पार्सलों, मनीऑर्डरों आदि को उनके गंतव्य स्थानों के अनुसार उनकी छँटाई करता है और फिर उन्हें थैलों में भरकर डाक ढोनेवाली लाल रंग की मोटर से स्टेशन तक पहुँचाता है ।
स्टेशन से विभिन्न दिशाओं की ओर जानेवाली रेलगाड़ियों द्वारा डाक बाहर भेजी जाती है । डाक ले जानेवाली रेलगाड़ियों में लाल रंग का एक बड़ा डिब्बा लगा रहता है । उसके कर्मचारी पत्रों आदि को छाँटकर पत्रों के थैलों को गंतव्य स्थान के स्टेशनों पर उतार देते हैं ।