ppustakon ka mahatva ?
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मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है जो एक समाज में रहता है जिसमें रहने के लिए उसे बहुत सी बातों का ग्यान होना चाहिए। पुस्तकें हमें ग्यान देती है वह ग्यान का सागर है। किसी भी विषय के बारे में जानने के लिए पहले गुरू या लोग ही प्रमुख साधन होते थे लेकिन अब सभी बातें पुस्तकों में होती है जिन्हें पढ़कर मनुष्य का सामाजिक और मानसिक विकास होता है।
पुस्तकें हमारी सच्ची मित्र होती है वह हमें सभ्य बनने में सहायता करती है। पुस्तक हमारा मार्गदर्शन करती है। जब भी हम किसी मुसीबत में होते है तो पुस्तक हमें रास्ता दिखाती है और हमें सलाह देती है। पुराने मंदिर और इतिहास की चीजें नष्ट हो जाती है लेकिन हमारी किताबों में सब कुछ बहुत सुरक्षित है जिससे कि हर व्यक्ति अपने इतिहास के विषय में जान सकते है और उसपर गर्व महसूस कर सकते हैं। गीता, रामायण आदि जैसी पुस्तकों को पढ़कर मन को परम शांति का अनुभव होता है। आज के समय में पुस्तकें बड़ी मात्रा में उपलब्ध है। हर विषय की अपनी किताब है जिससे कि हम बिना किसी उलझन से अपने पसंदीदा विषय के बारे में ग्यान प्राप्त कर सकते हैं। पुस्तकें हमारे लिए बहुत ही उपयोगी है और इनमें लिखी हर बात जीवन के किसी न किसी पड़ाव में अवश्य काम आती है। पुस्तकों का हमारे जीवन में बहुत महत्व है वो हमें संस्कार और ग्यान देकर एक अच्छा इंसान बनाती है।
पुस्तकों के बिना मनुष्य बहुत सी बातों से अंजान रह जाता है। हम जब चाहे तभी हर विषय के बारे में पढ़ सकते है और हमें इसके लिए किसी व्यक्ति का इंतजार नहीं करना पड़ता। पुस्तक ग्यान अर्जित करने का सबसे सरल और सस्ता साधन है और इसके लिए हमें किसी पर निर्भर नहीं रहना पड़ता है।
पुस्तकें अमर है उनका कभी निधन नहीं होता है। बहुत सी प्राचीन किताबों को लिखने वालों का निधन हो गया लेकिन उनके द्वारा लिखी गई पुस्तकें आज भी जीवित है और हमारा मार्गदर्शन करती है। पुस्तक हर व्यक्ति के व्यक्तित्व को निखारती है और उसके दृष्टिकोण में भी बदलाव लाती है। पुस्तक पढ़ने वाल् व्यक्ति को हर मुसीबत का हल मिल जाता है क्योंकि उसकी स्थिति से मिलती जुलती स्थिति के विषय में उन्होंने कहीं न कहीं पड़ा होता है। यह हमारी सहयोगी होती है। जब हम अकेले होते हैं पुस्तकें हमीरे मनोरंजन का साधन भी बनती है।
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पुस्तकों का महत्व
पुस्तकें : हमारी मित्र – पुस्तकें हमारी मित्र हैं | वे अपना अमृत-कोष सदा हम पर न्योछावर करने को तैयार रहती हैं | अच्छी पुस्तकें हमें रास्ता दिखाने के साथ-साथ हमारा मनोरंजन भी करती हैं | बदले में वे हमसे कुछ नहीं लेतीं, न ही परेशान या बोर करती हैं | इससे अच्छा और कौन-सा साथी हो सकता है कि जो केवल कुछ देने का हकदार हो, लेने का नहीं |
पुस्तकें : प्रेरणा का स्त्रोत – पुस्तकें प्रेरणा की भंडार होती हैं | उन्हें पढ़कर जीवन में कुछ महान कर्म करने की भावना जागती है | महात्मा गाँधी को महान बनाने में गीता, टालस्टाय और थोरो का भरपूर योगदान था | भारत की आज़ादी का संग्राम लड़ने में पुस्तकों की भी महत्वपूर्ण भूमिका थी | मैथलीशरण गुप्त की ‘भारत-भारती पढ़कर कितने ही नौजवानों ने आज़ादी के आदोंलन में भाग लिया था |
पुस्तकें : विकास की सूत्रधार – पुस्तकें ही आज की मानव-सभ्यता के मूल में हैं | पुस्तकों के दुवारा एक पीढ़ी का ज्ञान दूसरी पीढ़ी तक पहुँचते-पहुँचते सरे युग में फ़ैल जाता है | विपिल महोदय का कथन है – “पुस्तकें प्रकाश-गृह हैं जो समयह के विशाल समुद्र में खड़ी की गई हैं |” यदि हज़ारों वर्ष पूर्व के ज्ञान को पुस्तकें अगले युगतक न पहुँचती तो शायद एक वैज्ञानिक सभ्यता का जन्म न होता |
प्रचार का साधन – पुस्तकें किसी भी विचार, संस्कार या भावना के प्रचार का सबसे शक्तिशाली साधन हैं | तुलसी के ‘रामचरितमानस’ ने तथा व्यास-रचित महाभारत ने अपने युग को तथा आने वाली श्तब्दियों की पूरी तरह प्र्भाभित किया | आजकल विभिन्न सामाजिक आंदोलन तथा विविध विचारधाराएँ अपने प्रचार-प्रसार के लिए पुस्तकों को उपयोगी अस्त्र के रूप में अपनाती हैं |
मनोरंजन का साधन – पुस्तकें मानव के मनोरंजन में भी परम सहायक सिद्ध होती हैं | मनुष्य अपने एकांत क्षण पुस्तकों के साथ गुजार सकता है | पुस्तकों के मनोरंजन में हम अकेले होते हैं, इसलिए मनोरंजन का आनंद और अधिक गहरा होता है | इसलिए किसी ने कहा है – “पुस्तकें जागत देवता है | उनकी सेवा करके तत्काल वरदान प्राप्त किआ जा सकता है |”