prabandh ke laabh aur haani
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वानस्पतिक प्रवर्धन
वानस्पतिक प्रवर्धन के अंतर्गत बीज के अतिरिक्त पौधे के अन्य अंगों जैसे- जड़, तना, पत्तियां और कलिकाओं का उपयोग पौधे तैयार करने के लिए किया जाता है| इस विधि में कोशिकाओं का समसूत्री विभाजन होता है| जिसमें गुणसूत्रों का विभाजन नहीं होता है, जनन कोशिकाएँ इस विधि में क्रियाशील नहीं होती हैं, यानि की नर और मादा कोशिकाओं का मिलन नहीं होता है|
वानस्पतिक प्रवर्धन
वानस्पतिक प्रवर्धन के अंतर्गत बीज के अतिरिक्त पौधे के अन्य अंगों जैसे- जड़, तना, पत्तियां और कलिकाओं का उपयोग पौधे तैयार करने के लिए किया जाता है| इस विधि में कोशिकाओं का समसूत्री विभाजन होता है| जिसमें गुणसूत्रों का विभाजन नहीं होता है, जनन कोशिकाएँ इस विधि में क्रियाशील नहीं होती हैं, यानि की नर और मादा कोशिकाओं का मिलन नहीं होता है|
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