Prabha ka charitra chitran
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लेखक श्री राजेन्द्र यादव जी ने अपने उपन्यास सारा आकाश में 'प्रभा' नामक पात्र गढ़कर नई युग की पढ़ी लिखी महिला के व्यतित्व को प्रगट किया है । वह समर की पत्नी है। उसे घर में आने के बाद से ही मानसिक उत्पीड़न का शिकार होना पड़ता है। राजेन्द्र जी ने प्रभा के माध्यम से उन महिलाओं के हालात को दर्शया है जो बिना दहेज के ब्याही जाती हैं। राजेन्द्र जी नई कहानी युग के महान लेखको में से हैं। उन्होंने इस उपन्यास को एक मध्यवर्गीय परिवार की विचारधारा ,समस्याओं को मूल बनाकर गढ़ा है।उन्होंने दिखाया है की भरतीय मध्यवर्ग किन समस्याओं से जूझ रहा है।
राजेन्द्र जी ने प्रभा को शुरुआत से ही रहस्यमयी किरदार के रूप में गढ़ा है। वह समर की नज़र में घमंडी और हठी है। भाभी के नज़र में रूप की रानी,कोई काम ढंग से न करने वाली तथा अपनी पढ़ाई लिखाई का घमंड करने वाली है। प्रभा ससुराल में आने के बाद से बहुत कम बोलती है।वह एक सरल और छल कपट रहित महिला है।वह एक आदर्श पत्नी की तरह अपने पति की राह की रोड़ा बनने से कतराती है ,जिस वजह से समर उसे घमंडी समझता है ।
जैसा व्यवहार प्रभा के साथ हुआ वैसा ही व्यवहार बहुओं के साथ समाज में होता है। प्रभा ने जैसे उस व्यवहार की सहा उससे उसके शांत और धैर्र स्वभाव का पता चलता है। प्रभा अपने पति की मनोस्थिति समझती थी इसिलए कभी अपने पति का विरोध नहीं किया।