Prabhu ji tum chandan hum paani .jaaki ang ang baas smani.What is the meaning of this line
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प्रभु जी, तुम चंदन हम पानी, जाकी अँग-अँग बास समानी।
रैदास जी ने इस पंक्ति में कहा है कि हे प्रभु ! यदि तुम (भगवान) चंदन हो तो मैं (भक्त )पानी हूँ । जिस प्रकार चंदन की सुगंध पानी के बूँद-बूँद में समा जाती है वैसे ही प्रभु की भक्ति भक्त के अंग-अंग में समा जाती है।
Explanation:
बास =गंध
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