Hindi, asked by navneethsharma3481, 11 months ago

Prabhuji Tum Chandan Hum Pani Kavita ka Kendriya Bhav likhiye

Answers

Answered by harshil264
7
Kavi Kehte Hain ki Jis Prakar Chandan ke sampark me aakar pani me Chandan ki sugandh fal jati Hain usi Prakar tumare bhakti ki sugandh mere ang ang me fal gayi hain
Answered by bhatiamona
3

प्रभु जी तुम चंदन हम पानी यह पंक्तियाँ  रैदास द्वारा लिखी गई है|

संत रैदास जी कहते है की मेरे मन में राम नाम की जो रट लगी है , अब वह नहीं छूट सकती| रैदास जी ने ईश्वर के प्रति अपनी लग्न को वर्णन किया है |

हे प्रभु आप चन्दन है और मैं पानी , जिसकी सुगंध मेरे अंग-अंग में समा गई है| प्रभु आप इस   उपवन के वैभव है और मैं मोर| मेरी दृष्टि आपके ऊपर लगी हुई जैसे चकोर चन्द्रमा की तरफ़ देखता रहता है | उसकी प्रकार मेरा मन भी आप के ऊपर लगा रहता है| आप से अलग रहकर मेरा कोई अस्तित्व नहीं है |  

संत रैदास जी कहते है हे ईश्वर आओ दीपक हैं और मैं उस दीप की प्राता हूँ जिसकी ज्योति दिन रात निरंतर जलती रहती है| हे ईश्वर आप मोती हो और मैं उस जल में पिरोया जाने वाली धागा हूँ | ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार सोने और सुहागा के मिलने पर होता है | मैं सदैव आपने निकट ही रहना चाहता हूँ |

संत रैदास जी कहते है हे प्रभु जी आप स्वामी है और मैं आपका दस हूँ | रैदास के मन में ईश्वर के प्रति इसी तरह भक्ति भाव  है | संत रैदास जी अपने आप स्वयं ईश्वर का दस समझ बैठे है | ईश्वर के प्रति उनकी अनन्य भक्ति है| जो व्यक्ति ईश्वर के प्रति इस प्रकार का भक्ति रखने है वह लोग इस प्रकार संसार के माया-मोह से मुक्त हो जाते है|

▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬

संबंधित कुछ अन्य प्रश्न...►

https://brainly.in/question/7834016

Shobha sindhu na ant rahi ri surdas ki rachana

Similar questions