Pradushan ki badhti samasya
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आज विज्ञान और तकनीकी विकास तेजी से हो रहा है। आधुनिक साधनों को प्राप्त करने की होड़ में मनुष्य अंधाधुन्ध लगा हुआ है। ऐसे में ये सफलतायें उसके लिए नयी नयी मुसीबतें भी खड़ी कर रही हैं।
हरित क्रान्ति, औद्योगिक विकास, यातायात के साधनों का विकास तथा शहरों की बढ़ती हुई जनसंख्या इन सब से वातावरण प्रभावित हो रहा है।
धरती पर पर्यावरण की रचना वायु, जल, मिट मिट्टी,पौधे वनस्पति और पशुओं के द्वारा होती है। प्रकृति के यह सभी भाग पारस्परिक संतुलन बनाये रखने के लिये एक दूसरे को प्रभावित करते हैं।
प्रदुषण की समस्या और समाधान
कुछ विशेष कारणों से जब इनमें पारस्परिक असन्तुलन उत्पन्न हो जाता है तो हमारा जीवन खतरे में पड़ जाता है। यह असन्तुलन ही प्रदूषण को जन्म देता है।
प्रदूषण कई प्रकार का होता है जिनमें प्रमुख हैं- वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण।
वैज्ञानिक मानते हैं कि प्रकृति के असन्तुलन के मूल में जनसंख्या विस्फोट, आवासीय बस्तियों को बसाने के लिये पेड़ों को काटना, उद्योग धन्धों का बड़े स्तर पर पनपना, खेतों में रासायनिक खाद तथा कीटनाशक दवाईयों का डाला जाना शामिल है। मोटर वाहनों व कारखानों से निकलने वाला विशैला धुआँ भी वायु प्रदूषण का एक मुख्य कारण