Pradushan ki samasya par nibandh likhiye
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आज के युग विज्ञान का युग कहा जाता है। विज्ञान या में नाना प्रकार के सुख साधन प्रदान किए हैं । जिनके कारण हमारी धरती नंदनवन बन गई है । विज्ञान ने जहां हमें अनेक प्रकार के वरदान दिए हैं । वहीं कुछ ऐसी समस्याएं भी पैदा की है , जो आज भिषणतम अभीश्राप बन कर हमारे अस्तित्व को ही समाप्त करने पर तुली हुई है । प्रदूषण भी उनमें से एक है।
प्रदूषण का अर्थ है - "दोषयुक्त" ।
आज धरती के दूषित वातावरण से पर्यावरण और वायुमंडल प्रदूषित है।मनुष्य ने प्रकृति से जिस प्रकार छेड़छाड़ की है जिस प्रकार उस का अंधाधुंध दोहन किया है उसी का दुष्परिणाम है - प्रदूषण ।
- वायु प्रदूषण- इनमें वायु प्रदूषण का सर्वाधिक प्रकोप महानगरों पर हुआ है । आज जिस प्रगति से औद्योगिक करण हुआ है । उसी गति से वायु प्रदूषण भी बढ़ता जा रहा है । कारखानों की चिमनियोंसे निकलने वाले दोहे तथा राख से वायुमंडल प्रदूषित हो रहा है तथा नगरों में लोग शुद्ध वायु में सांस लेने को तरसते हैं।
- ध्वनि प्रदूषण- आज के महानगरों में वाहनों , मशीनों और कल कारखानों के शोर के कारण ध्वनि प्रदूषण भी बढ़ता जा रहा है । तेजी से आते-जाते वाहनों के शोर के कारण मानसिक तनाव तथा हृदय रोग , रक्तचाप जैसी व्याधियां जन्म ले रही है ।
- भूमि प्रदूषण- भूमि प्रदूषण के लिए भी आज का विज्ञान ही उत्तरदाई है। अधिक अन्य उगाने के लिए जिस प्रकार की रासायनिक खादों का प्रयोग किया जा रहा है। उससे भूमि प्रदूषित हो रही है। कीटनाशक दवाइयों के प्रयोग से अनेक प्रकार की विपत्तियां मानव को सता रही है।
- जल प्रदूषण- इन्हीं कारखानों से निकलने वाले दूषित पदार्थ , कजरा तथा विषैला रासायनिक आदि कुछ नदी , नालों में बहा दिया जाता है। जिससे उनका जल प्रदूषित हो रहा है। गंगा जैसी पवित्र नदी का जल भी आज प्रदूषित हो गया है । जब जल प्रदूषित होगा । तो शुद्ध जल कहां से उपलब्ध होगा। प्रदूषित जल का सेवन करने से अनेक घातक रोग हो जाते हैं।
प्रदूषण एक घातक समस्या है । जनसंख्या की अधिकता तथा इसके लिए आवास की समस्या को हल करने के लिए वृक्षों की जिस प्रकार अंधाधुंध कटाई की जा रही है । उससे प्रकृति भी नाराज होकर हमसे बदला लेती है । आज शुद्ध जल , शुद्ध वायु का नितांत अभाव होता जा रहा है । वायुमंडल में मिली जहरीली गैसे का एक ऐसे विश का काम कर रही है। जो धीरे-धीरे हमारे स्वास्थ्य को घुन की तरह खाए जा रही है ।
प्रदूषणप्रदूषण से बचने के लिए अधिक से अधिक वृक्षों का लगाया जाना बहुत आवश्यक है। इसके लिए युद्ध स्तर पर प्रयास किया जाना आवश्यक है । सरकार के ऐसे उद्योगों का आवासीय स्थानों से दूर लगाना चाहिए जो प्रदूषण फैलाते हैं । वनों की कटाई पर रोक लगाना भी परम आवश्यक है । सरकार को ऐसे कानून बनाने चाहिए जिसमें स्पष्ट निर्देश दिए गए हो कि जो उद्योग प्रदूषण फैल आएगा उसके विरुद्ध कठोर कार्यवाही की जाएगी ।
Answer :
प्रदूषण समाज या जीवन के लिए एक प्रतिबंध है। वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, खाद्य प्रदूषण जैसे सभी प्रकार के प्रदूषण निवासियों को बहुत प्रभावित कर रहे हैं।
प्रदूषण के स्रोत या उत्पत्ति का वर्णन छोटे विवरणों में किया गया है:
वायु प्रदूषण: वायु हमारे अस्तित्व के लिए हमारे पर्यावरण के सबसे महत्वपूर्ण तत्वों में से एक है। यह एक प्राकृतिक उपहार और मुफ्त संपत्ति है। यह कई तरह से प्रदूषित है। भूमि वाहन तेल और ईंधन का उपयोग करते हैं जो धुआं पैदा करते हैं। धुआं हवा के साथ मिल जाता है और इस तरह से हवा को प्रदूषित करता है। मिलों, कारखानों और उद्योगों को भी वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है क्योंकि वे धुएँ का निर्माण करते हैं। प्रदूषित वायु में CO2, CO, NO2, SMP, SO2 और लेड के ऑक्साइड होते हैं। गैसों की अत्यधिक वृद्धि और रासायनिक प्रदूषित हवा। लोगों को ज्यादातर मामलों में प्रदूषित हवा में सांस लेना और निकालना है।
जल प्रदूषण: जल जीवों के लिए भी जीवित तत्वों में से एक है। ज्यादातर मामलों में मिलों, कारखानों और उद्योगों के कचरे से पानी प्रदूषित होता है। कभी-कभी, किसान कीटनाशकों और उर्वरकों का अत्यधिक उपयोग करते हैं। इस प्रदूषित पानी को पीना जीवन और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
खाद्य प्रदूषण: फुटपाथ पर बिक्री के लिए तैयार अधिकांश खाद्य और स्नैक्स सड़क के किनारे सड़क के किनारे खुले और गंदे होते हैं। इन्हें प्रदूषित हवा से पकाया जाता है। लोग उनकी आदत और लालच के कारण उन्हें खाने और उनका स्वाद लेने के लिए ललचाते हैं। ये अनहेल्दी खाद्य पदार्थ हमारे स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक हैं।
ध्वनि प्रदूषण: ध्वनि प्रदूषण सभी के लिए बहुत आम है। वाहनों, मिलों, कारखानो ओर सभी जगह.