Hindi, asked by deepu248275, 9 months ago

Pradushan par 1000 Shabd ka anuched likhiye​

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Answered by ishusingh7862
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प्रदूषण का अर्थ है -प्राकृतिक संतुलन में दोष पैदा होना। न शुद्ध वायु मिलना, न शुद्ध जल मिलना, न शुद्ध खाद्य मिलना, न शांत वातावरण मिलना।

प्रदूषण कई प्रकार का होता है! प्रमुख प्रदूषण हैं - वायु-प्रदूषण, जल-प्रदूषण और ध्वनि-प्रदूषण ।

वायु-प्रदूषण : महानगरों में यह प्रदूषण अधिक फैला है। वहां चौबीसों घंटे कल-कारखानों का धुआं, मोटर-वाहनों का काला धुआं इस तरह फैल गया है कि स्वस्थ वायु में सांस लेना दूभर हो गया है। मुंबई की महिलाएं धोए हुए वस्त्र छत से उतारने जाती है तो उन पर काले-काले कण जमे हुए पाती है। ये कण सांस के साथ मनुष्य के फेफड़ों में चले जाते हैं और असाध्य रोगों को जन्म देते हैं! यह समस्या वहां अधिक होती हैं जहां सघन आबादी होती है, वृक्षों का अभाव होता है और वातावरण तंग होता है।

जल-प्रदूषण : कल-कारखानों का दूषित जल नदी-नालों में मिलकर भयंकर जल-प्रदूषण पैदा करता है। बाढ़ के समय तो कारखानों का दुर्गंधित जल सब नाली-नालों में घुल मिल जाता है। इससे अनेक बीमारियां पैदा होती है।

ध्वनि-प्रदूषण : मनुष्य को रहने के लिए शांत वातावरण चाहिए। परन्तु आजकल कल-कारखानों का शोर, यातायात का शोर, मोटर-गाड़ियों की चिल्ल-पों, लाउड स्पीकरों की कर्णभेदक ध्वनि ने बहरेपन और तनाव को जन्म दिया है।

प्रदूषणों के दुष्परिणाम: उपर्युक्त प्रदूषणों के कारण मानव के स्वस्थ जीवन को खतरा पैदा हो गया है। खुली हवा में लम्बी सांस लेने तक को तरस गया है आदमी। गंदे जल के कारण कई बीमारियां फसलों में चली जाती हैं जो मनुष्य के शरीर में पहुंचकर घातक बीमारियां पैदा करती हैं। भोपाल गैस कारखाने से रिसी गैस के कारण हजारों लोग मर गए, कितने ही अपंग हो गए। पर्यावरण-प्रदूषण के कारण न समय पर वर्षा आती है, न सर्दी-गर्मी का चक्र ठीक चलता है। सुखा, बाढ़, ओला आदि प्राकृतिक प्रकोपों का कारण भी प्रदूषण है।

प्रदूषण के कारण : प्रदूषण को बढ़ाने में कल-कारखाने, वैज्ञानिक साधनों का अधिक उपयोग, फ्रिज, कूलर, वातानुकूलन, ऊर्जा संयंत्र आदि दोषी हैं। प्राकृतिक संतुलन का बिगड़ना भी मुख्य कारण है। वृक्षों को अंधा-धुंध काटने से मौसम का चक्र बिगड़ा है। घनी आबादी वाले क्षेत्रों में हरियाली न होने से भी प्रदूषण बढ़ा है।

सुधार के उपाय : विभिन्न प्रकार के प्रदूषण से बचने के लिए चाहिए कि अधिक से अधिक पेड़ लगाए जाएं, हरियाली की मात्रा अधिक हो। सड़कों के किनारे घने वृक्ष हों। आबादी वाले क्षेत्र खुले हों, हवादार हों, हरियाली से ओतप्रोत हों। कल-कारखानों को आबादी से दूर रखना चाहिए और उनसे निकले प्रदूषित मल को नष्ट करने के उपाय सोचना चाहिए।...

Answered by desibro
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प्रस्तावना

पर्यावरण प्रदूषण का अर्थ हानिकारक प्रदूषकों का पर्यावरण में मिल जाना है। जिसके कारण प्राकृतिक चक्र में कई तरह की समस्याएं उत्पन्न हो जाती है। पर्यावरण प्रदूषण को कई तरह प्रदूषणों में वर्गीकृत किया गया है जैसे कि जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, भूमि प्रदूषण आदि। पिछले कुछ दशकों से प्रदूषण के स्तर में काफी वृद्धि देखने को मिली है और यह प्रदूषण स्तर पहले के अपेक्षा काफी खराब हो चुका है। इसलिए यह वह समय है जब हमें प्रदूषण से निपटने के लिए मिलकर प्रयास करने की आवश्यकता है।

प्रदूषण के प्रभाव

पर्यावरण में मौजूद सभी प्रकार की प्राकृतिक गैसे एक-दूसरे से अभिक्रिया करके इसका संतुलन बनाये रखती है। इनमें से कुछ पेड़-पौधे द्वारा भोजन के रुप में ग्रहण की जाती है जैसे कि कार्बन डाइआऑक्साइड, लेकिन इस विषय में सोचिये कि यदि पृथ्वी पर किसी प्रकार के पेड़-पौधे ना हो तो क्या होगा? पेड़ो की घटती संख्याओं के कारण पर्यावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ती जा रही है। जिसके कारण ग्लोबल वार्मिंग जैसी गंभीर समस्या उत्पन्न हो गई है।

प्रदूषण को कैसे रोके

आज के समय में प्रदूषण एक महत्वपूर्ण समस्या बन चुका है, जिसे हमें नियंत्रित करने की आवश्यकता है। इसे समय रहते नियंत्रित करने के लिए हम कुछ आवश्यक उपाय अपना सकते है, इन्हीं में से कुछ उपायों के विषय में नीचे बताया गया है।

और अधिक पेड़ लगाकर

वनीकरण और पेड़ लगाना प्रदूषण से लड़ने का सबसे अच्छा तरीका है, हम जितने ज्यादे पेड़ लगायेंगे उतने ही ज्यादे कार्बन डाइऑक्साइड और दूसरी हानिकारक गैसों का अवशोषण होगा और हमारा पर्यावरण तथा वायु उतनी ही स्वच्छ होगी।

वाहनों के उपयोग को घटाकर

हम वाहनों का उपयोग जितना कम करेंगे इनसे निकलने वाली हानिकरक गैसों का उत्सर्जन उतना ही कम होगा। इसके जगह हमें बाइसाइकल के उपयोग को बढ़ावा देना चाहिए।

उपयुक्त कचरा निस्तारण

उपयुक्त कचरा निस्तारण के तरीकों द्वारा हम उद्योगों के विषैले तत्वों को पर्यावरण में मिलने से रोक सकते है। यह वायु और जल प्रदूषण को रोकने के साथ ही जलीय जीवों को बचाने में भी काफी कारगर साबित होगा क्योंकि समुद्रों और नदियों में बिना प्रदूषण के यह जीव आराम से अपना जीवन व्यतीत कर सकते है।

सीमित मात्रा में किटनाशकों का उपयोग करना

किसानों को खेती में रासायनिक किटनाशकों के उपयोग को कम करना चाहिए और फसलों की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए जैविक खाद का उपयोग करना चाहिए। ऐसा करके हम भूमि की उर्वरकता को बनाये रख सकते है तथा भूजल को भी प्रदूषित होने से बचा सकते है।

पुनरुपयोग और पुनरावृत्ति करके

वस्तुओं की पुनरावृत्ति करना भी प्रदूषण को रोकने का एक अच्छा उपाय है। यह इधर-उधर फैलने वाले कचरे से होने वाले प्रदूषण को रोकने में सहायता करता है और पर्यावरण को स्वच्छ और साफ-सुथरा बनाये रखने में सहयोग करता है।

निष्कर्ष

हमारे पास अपने पर्यावरण को बचाने के लिए अभी भी समय मौजूद है परन्तु इसके लिए हम सबको मिलकर संगठित प्रयास करने की आवश्यकता है। पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के लिए हमें लोगों को वैश्विक स्तर पर जागरुक करने की आवश्यकता है। हमें अपनी जिम्मेदारी को समझने की आवश्यकता है और अपने ग्रह को स्वंय तथा अन्य दूसरी प्रजातियों के लिए और भी अच्छा बनाने के लिए प्रयास करने की आवश्यकता है।

Explanation:

THNX

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