Hindi, asked by saloni905469, 1 month ago

pradushan par nibandh​

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Answered by mahekshroff146
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Answered by DynamiteAshu
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बचपन में हम जब भी गर्मी की छुट्टियों में अपने दादी-नानी के घर जाते थे, तो हर जगह हरियाली ही हरियाली फैली होती थी। हरे-भरे बाग-बगिचों में खेलना बहुत अच्छा लगता था। चिड़ियों की चहचहाहट सुनना बहुत अच्छा लगता था। अब वैसा दृश्य कहीं दिखाई नहीं देता।

आजकल के बच्चों के लिए ऐसे दृश्य केवल किताबों तक ही सीमित रह गये हैं। ज़रा सोचिए ऐसा क्यों हुआ। पेड़-पौधे, पशु-पक्षी, मनुष्य, जल, वायु, आदि सभी जैविक और अजैविक घटक मिलकर पर्यावरण का निर्माण करते हैं। सभी का पर्यावरण में विशेष स्थान है।

प्रदूषण का अर्थ

मनुष्य ने अपने स्वार्थ के लिए पेड़ो की अन्धाधुंध कटाई की है। जिस कारण पर्यावरण असंतुलित हो गया है। प्रदूषण भी इस असंतुलन का मुख्य कारण है।

आइए जानते हैं, प्रदूषण है क्या ?

जब वायु, जल, मृदा आदि में अवांछनीय तत्व घुलकर उसे इस हद तक गंदा कर देते है, कि स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर डालने लगे तो उसे प्रदूषण कहते हैं। प्रदूषण से प्राकृतिक असंतुलन पैदा होता है। साथ ही यह मानव जीवन के लिए भी खतरे की घंटी है।

मनुष्य की यह जिम्मेदारी बनती है कि उसने जितनी नासमझी से प्राकृतिक संसाधनों का दोहन कर पर्यावरण को नुकसान पहुँचाया है, अब उतनी ही समझदारी से प्रदूषण की समस्या को सुलझाये। वनों की अंधाधुंध कटाई भी प्रदूषण के कारको में शामिल है। अधिक से अधिक वृक्षारोपण कर इस पर काबू पाया जा सकता है। इसी तरह कई उपाय हैं, जिन्हें अपनाकर प्रदूषण कम करने के प्रयास किए जा सकते हैं।

उपसंहार

अगर हमें अपनी आगामी पीढ़ी को एक साफ, सुरक्षित और जीवनदायिनी पर्यावरण देना है, तो इस दिशा में कठोर कदम उठाने होंगे। और प्रदूषण पर नियंत्रण पाना सिर्फ हमारे देश ही नहीं, अपितु सम्पूर्ण पृथ्वी के लिए आवश्यक है। ताकि सम्पूर्ण पृथ्वी पर जीवन रह सके।

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