Pradushan rahit diwali kaise manaye?anuched likhiye
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मल्टीमीडिया डेस्क
भारतीय जनमानस में दिवाली का त्योहार सदियों से रचा बसा हुआ है। भगवान राम की अयोध्या वापसी की खुशी में सदियों से यह त्योहार पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाने की परंपरा रही है। ऐसा माना जाता है कि पहले यह त्योहार जगमगाते दीपों और रोशनी के साथ मनाया जाता था, लेकिन समय के बदलाव के साथ इस त्योहार का मनाने का तरीका भी बदल गया।
आज जगमगाते दीपों के स्थान पर लाइटिंग के साथ-साथ तेज ध्वनि वाले पटाखे फोड़े जाते हैं, जो ध्वनि प्रदूषण तो करते ही हैं, साथ ही वायु प्रदूषण भी बढ़ाते हैं। दिवाली के आसपास बड़े शहरों में प्रदूषण का स्तर इतना बढ़ जाता है कि कई लोगों का सांस की तकलीफ हो जाती है।
ऐसे में अब समय की जरूरत है कि हम 'ग्रीन दिवाली' मनाने की ओर कदम बढ़ाएं, जो प्रदूषण से रहित हो। चूंकि हमारी सनातन परंपरा चिरकाल से पर्यावरण की पोषक रही है, ऐसे में हमें पर्यावरण हितैशी और सुरक्षित दीपावली मनाने के बारे में जरूर सोचना होगा। आइए आपको बताते हैं कुछ ऐसे छोटे-छोटे उपाय, जिन्हें अमल में लाकर हम ग्रीन दिवाली मना सकते हैं।
- इसमें कोई शक नहीं है कि दिवाली खुशियों का त्योहार है, लेकिन इन खुशियों को समेटने के प्रयास में कई बार हम पर्यावरण को बेहद नुकसान पहुंचा देते हैं। इसलिए इस बार प्रयास करें कि इलेक्ट्रॉनिक लाइटों के स्थान पर मिट्टी के दीपकों का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करे। इससे मिट्टी के दीपक बनाने वाले को भी आर्थिक मदद मिलेगी। इसके अलावा हमारी परंपरा का भी निर्वाह होगा। बिजली की बचत होगी।
- आजकल हम देखते हैं कि बाजारों में घरों की सजावट के लिए कई आर्टिफिशियल प्लास्टिक व फाइबर का सामान मिलता है। ये दिखने में जरूर सुंदर होता है लेकिन इनके उपयोग से घर प्राकृतिक खुशबू जैसे नहीं महक सकते। इनके स्थान में प्राकृतिक फूलों का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करना चाहिए। कुछ लोग तो असली फूलों के रंगों से रंगोली भी बनाते हैं। आप ज्यादा से ज्यादा यह प्रयास करें कि दिवाली पर घर को सजाने के सामान में प्लास्टिक का इस्तेमाल न करें।
- दिवाली पर हर घर में पकवान बनाने की परंपरा है। खाने पीने के सामान में भी ज्यादा से ज्यादा आर्गेनिक खाद्य पदार्थों का इस्तेमाल करें। दीवाली में अक्सर बाजार में बिकने वाले खाद्य पदार्थों में भी मिलावट की आशंका बढ़ जाती है, जो सेहत के लिए काफी नुकसानदेह साबित होती है।
- दीपावली पर सबसे ज्यादा पर्यावरण को नुकसान पटाखों से होने वाले शोर और उनसे निकले धुंए से होता है, इसलिए यह प्रयास करें बहुत कम पटाखों का इस्तेमाल करें और दीपकों की जगमगाती रोशनी के साथ दिवाली की खुशियां मनाएं। आजकल बाजार में इको फ्रैंडली पटाखे भी उपलब्ध हो गए हैं। इन पटाखों से आवाज व धुआं बेहद कम निकलता है।
- दीपावली पर इस बार जब आप अपने दोस्तों और मेहमानों को गिफ्ट दें, उन्हें हर्बल प्रोडक्ट उपहार में दे सकते हैं। बाजार में आजकल इस तरह के उत्पादों की लंबी रेंज उपलब्ध है। हर घर में दिवाली पर नए कपड़े भी खरीदे जाते हैं, आजकल बाजार में आर्गेनिक क्लॉथ से बने कपड़े भी उपल्बध हैं और कुछ ई-कॉमर्स वेबसाइट भी ऑनलाइन इसकी बिक्री कर रही है।