Hindi, asked by ak5774282, 11 months ago

Pragati ke path par badhta Bharat par nibandh

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Answered by Gardenheart65
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इक्कीसवीं शताब्दी में भारत की गिनती विश्व के अधिकतम प्रगतिशील देशो में होती है |  अगर हम नज़र डालें तो हम भारत के चहुँदिशि विकास को महसूस कर सकते हैं | भारत का सबसे ज्यादा विकास सूचना एवं प्रौद्योगिकी (Information Technology) क्षेत्र में हुआ है | विदेशों में स्थित ख्यातिप्राप्त I.T. संस्थान भारतीय पेशेवरों से सेवायें लेते हैं जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था में विदेशी मुद्रा का समावेश होता है | पिछले कुछ सालों में भारत ने अंतरिक्ष विज्ञानं एवं प्रौद्योगिकी में भी काफी विकास किया है | ये योजनाएं अति आधुनिक होने के साथ ही अत्यंत ही किफायती होने की वजह से बहुत लोकप्रिय हुई हैं जिसके कारन बहुत सारे देश अपने उपग्रह भारत से प्रक्षेपित करवाने लगे हैं | मौजूदा सरकार ने गृह उद्योगों को भी काफी बढ़ावा दिया है | "मेड इन इंडिया" अभियान की सहायता से भारत को पूर्ण रूप से स्वावलम्बी बनाने की कोशिश की जा रही है | विगत समय में हमने भारत में एक "start up culture" की शुरुआत देखी है | इस प्रगति से देश की कई समस्याओं का हल निकलने की उम्मीद है | भारत ने कृषि क्षेत्र में भी काफी वृद्धि की है और अपने प्रमुख पैदावारों में बढ़ोत्तरी की है | इस तरह और कई क्षेत्रों में भारत मज़बूत प्रदर्शन से विश्व पटल पे भारत की स्थिति काफी मज़बूत हुई है | US , UK , Russia जैसे देश भारत के बढ़ते अस्तित्व को स्वीकार कर रहे हैं एवं पूरा विश्व भारत को भविष्य के अत्यंत शक्तिशाली देशों में एक देखता है | इसका उदाहरण विभिन्न देशो में भारत की योजनाओं में शामिल होने की होड़ है | भारतीय बाज़ारो के खुलने की वजह से विदेशी कंपनियों ने वृहत पैमाने पर भारत में निवेश शुरू किया है |

इस बात में कोई शंका नहीं की भारत चतुर्मुख विकास की ओर अग्रसर है , परन्तु इसे अभी भी बहुत सारी बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है | इसमें सबसे प्रमुख है पूरे भारत में फैला भ्रष्टाचार | सरकारी बाबुओं एवं नेताओं के भ्रष्टाचार के बड़े बड़े किस्से आये दिन हमें सुनने को मिलते हैं | आतंकवाद एवं उग्रवाद भी भारत की प्रमुख समस्याओं में एक है | हमें बुनियादी शिक्षा के क्षेत्र में भी काफी प्रगति करनी है | भारत के एक बड़े तबके को अभी भी बुनियादी स्वास्थ्य सेवायें प्राप्त नहीं हैं | किसानो की आत्महत्या के कई किस्से हमें रोज़ सुनने को मिलते हैं | 

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