Prakash ke apvartan ka kya tatparya hai
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प्रकाश का अपवर्तन , क्या है , परिभाषा Refraction of light in hindi : जब प्रकाश की किरण किसी पारदर्शी माध्यम में गति करती है तो प्रकाश का गमन एक सीधी रेखा के रूप में होता है।
लेकिन जब प्रकाश एक पारदर्शी माध्यम से दूसरे पारदर्शी माध्यम में गमन करता है तो दोनों माध्यमों को पृथक करने वाले अन्तरापृष्ठ पर किरण (प्रकाश) का पथ परिवर्तित हो जाता है।
प्रकाश की किरण या तो अभिलम्ब की तरफ झुक जाती है या अभिलम्ब से दूर हट जाती है , प्रकाश की इस घटना को “प्रकाश का अपवर्तन” कहते है।
सीधे शब्दों में कह सकते है की –
जब प्रकाश एक माध्यम से दूसरे माध्यम में गति करता है तो प्रकाश का पथ विचलित हो जाता है इस घटना को प्रकाश का अपवर्तन कहते है।
अपवर्तन के निम्न दो नियम है –
1. आपतित किरण , अपवर्तित किरण तथा आपतन बिन्दु पर अभिलम्ब सभी एक ही तल में होते है।
2. किन्ही दो माध्यमों के लिए आपतन कोण की ज्या (sin i) तथा अपवर्तन कोण की ज्या (sin r) का अनुपात नियत रहता है। इस नियत अनुपात को स्नेल का नियम कहते है।
माना कोई प्रकाश की किरण i कोण पर आपतित हो रही है तथा अपवर्तन के बाद इसका अपवर्तन कोण r हो जाता है तो स्नेल के नियमानुसार
यहाँ n एक नियत मान है इसे माध्यमों का आपेक्षिक अपवर्तनांक कहते है।
जब प्रकाश किरण किसी विरल माध्यम से सघन माध्यम में प्रवेश करती है तो किरण अभिलम्ब की ओर झुक जाती है।
जब प्रकाश की किरण सघन से विरल में प्रवेश करती है तो किरण अभिलम्ब से दूर हट जाती है। जैसे चित्र में दिखाया गया है –
एक माध्यम के अपवर्तनांक (n) को किसी निर्वात में प्रकाश को चाल c तथा माध्यम में प्रकाश की चाल v के अनुपात द्वारा परिभाषित किया जाता है।
n = प्रकाश की निर्वात या वायु में चाल / प्रकाश की माध्यम में चाल
n = c/v
जब प्रकाश की किरण एक माध्यम से दूसरे माध्यम में प्रवेश करता है या गति करता है तो इसकी आवृति समान रहती है लेकिन इसकी तरंग दैर्ध्य बदल जाता है।