prakrati dwara hame Jo Mila h uska 1/2 pg me varnan
Answers
प्रकृति एक प्राकृतिक पर्यावरण है जो हमारे आसपास है, हमारा ध्यान देती है और हर पल हमारा पालन-पोषण करती है। ये हमारे चारों तरफ एक सुरक्षात्मक कवच प्रदान करती है जो हमें नुकसान से बचाती है। हवा, पानी, जमीन, आग, आकाश आदि जैसी प्रकृति के बिना हमलोग इस काबिल नहीं है कि धरती पर रह सके। प्रकृति हमारे आस-पास कई रुपों में है जैसे पेड़, जंगल, जमीन, हवा, नदी, बारिश, तालाब, मौसम, वातावरण, पहाड़, पठार, रेगिस्तान आदि। कुदरत का हर स्वरुप बहुत शक्तिशाली है जो हमारा पालन पोषण करने के साथ ही नाश करने की क्षमता भी रखता है।
आज के दिनों में सभी के पास प्रकृति का आनन्द उठाने का कम समय है। बढ़ती भीड़ में हम प्रकृति का सुख लेना और अपने को स्वस्थ रखना भूल गये है। हम शरीर को फिट रखने के लिये तकनीक का प्रयोग करने लगे है। जबकि ये बिल्कुल सत्य है कि प्रकृति हमारा ध्यान रख सकती है और हमेशा के लिये फिट रख सकती है। बहुत सारे लेखक अपने लेखन में प्रकृति के फायदे और उसकी सुंदरता का गुणगान कर चुके है। प्रकृति के पास ये क्षमता है कि वो हमारे दिमाग को चिंता मुक्त रखे और बीमारीयों से बचाए। मानव जाति के जीवन में तकनीकी उन्नत्ति के कारण हमारी प्रकृति का लगातार ह्रास हो रहा है जिसे संतुलित और उसके प्राकृतिक संपत्ति को संरक्षित रखने के लिये उच्च स्तर की जागरुकता की जरुरत है।
ईश्वर ने सब कुछ बहुत सुंदरता से देखने के लिये बनाया है जिससे हमारा आँखे कभी नहीं थक सकती। लेकिन हम भूल जाते है कि मानव जाति और प्रकृति के बीच के रिश्तों को लेकर हमारी भी कुछ जिम्मेदारी है। सूर्योदय की सुबह के साथ ये कितना सुंदर दृश्य दिखाई देता है, जब चिड़ियों के गाने, नदी, तालाब की आवाज हवा और एक लंबे दिन के दबाव के बाद बगीचे में शाम में दोस्तों के साथ खुशनुमा पल हो। लेकिन हम अपने पारिवारिक जिम्मेदारियों के चलते प्रकृति की खूबसूरती का आनन्द लेना भूल चुके है।
कई बार हमारी छुट्टीयों में हम अपना सारा दिन टीवी, न्यूजपेपर, कम्प्यूटर खेलों में खराब कर देते है लेकिन हम भूल जाते है कि दरवाजे के बाहर प्रकृति के गोद में भी बहुत कुछ रोचक है हमारे लिये। बिना जरुरत के हम घर के सारे लाइटों को जलाकर रखते है। हम बेमतलब बिजली का इस्तेमाल करते है जो ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ावा देता है। हमारी दूसरी गतिविधियाँ जैसे पेड़ों और जंगलों की कटाई से CO2 गैस की मात्रा में वृद्धि होती है और ग्लोबल वार्मिंग का कारण बनती है।
अगर हमें हमेशा खुश और स्वस्थ रहना है तो हमें स्वार्थी और गलत कार्यों को रोकने के साथ-साथ अपने ग्रह को बचाना होगा और इस सुंदर प्रकृति को अपने लिये बेहतर करना होगा। पारिस्थितिकीय तंत्र को संतुलित करने के लिये हमें पेङों और जंगलो की कटाई रोकनी होगी, ऊर्जा और जल का संरक्षण करना होगा आदि। अंत में प्रकृति के असली उपभोक्ता हम है तो हमें ही इसका ध्यान रखना चाहिये।