prakrati ki shobha kavita by shridhar pathak ka saransh
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श्रीधर पाठक रचित कविता "प्रकृति की शोभा" का सारांश
प्रकृति की शोभा कविता में लेखक श्रीधर पाठक जी प्रकृति की सुन्दरता का वर्णन करते हैं | लेखक कहते हैं कि यदि ध्यान से प्रकृति की सुन्दर रचना को देखें तो हमें प्रकृति के कण-कण में ईश्वर की चतुराई दिखेगी |
प्रकृति में भांति-भांति के पक्षी, रंग बिरंगे फूल, वन, लहलहाती लताएँ हैं | यहाँ नदियाँ, झील, सरोवर के साथ ही कमल पर भौरों की सुरीली गूंज है |
पर्वतों कि रम्य शोभा सहित उतार-चढाव वाली शिखाओं को देखो, निर्मल जल के झरने देखों, ऋतुओ का आना, वनस्पति का उगना |
सूर्य-चन्द्रमा की शोभा देखों, दिन-रात का बारी-बारी से आना, अनंत तारा मंडल को देखों, समुद्र का प्रथ्वी तल पर विस्तार देखों, मेघों के अनंत मंडल को देखों और गर्जन करे बादलों से वर्षा, बिजली को देखों |
इन सब सुन्दर, मनोरम और शोभामान रचना को देखने से तुम परमेश्वर की अद्भुत, अपरम्पार लीला को देखोगे |
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