Prakratik sansadhan ki importance kya h
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प्राकृतिक संसाधन सामान्य रुप से प्रकृति के द्वारा दिया गया एक उपहार हैं। सूरज की रोशनी, पानी, मिट्टी और हवा प्राकृतिक संसाधनों के कुछ ऐसे उदाहरण हैं जो मनुष्यों के हस्तक्षेप के बिना स्वाभाविक रूप से उत्पादित होते हैं। ये प्रकृति में प्रचुर मात्रा में पाए जाते है। हालांकि, ऐसे औऱ कई अन्य प्राकृतिक संसाधन भी हैं, जो आसानी से नहीं मिलते जैसे- खनिज और जीवाश्म ईंधन। प्राकृतिक संसाधन हमारे ग्रह पर स्वाभाविक रूप से उपलब्ध हैं। हमें उन्हें प्राप्त करने के लिए किसी भी मानव हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं पड़ती। जीवित प्राणियों के अस्तित्व के लिए ये संसाधन आवश्यक हैं। कुछ प्राकृतिक संसाधन जैसे हवा, पानी और सूरज की रोशनी आदि सीधे उपयोग में लायी जाती है, वहीं अन्य संसाधन, कच्चा मॉल के रूप में अन्य आवश्यक चीजों को बनाने में प्रयोग किया जाता हैं।
कई प्राकृतिक संसाधन प्रचुर मात्रा तथा नवीकरणीय की स्थिती में मौजुद हैं, जिसका अर्थ है कि हम इनका पुनर्नवीनीकरण करके पुन: उपयोग में ला सकते है। हालांकि, ऐसे कई अन्य अनवीकरणीय पदार्थ भी हैं जिन्हें पुनर्नवीनीकरण करने में हजारों साल लग जाते हैं। कई प्राकृतिक संसाधन तेजी से कम हो रहे हैं। इसके कई कारण हैं उसमे से सबसे प्रमुख कारण हैं, जनसंख्या में प्रतिदिन वृद्धि, जिनकी वजह से प्राकृतिक संसाधन में तेजी से कमी आती जा रही हैं, तेजी से जनसंख्या की वृद्धि के कारण प्राकृतिक संसाधनों की खपत लगातार बढ़ते जा रही है।
वनों की कटाई प्राकृतिक संसाधनों में होने वाली कमी का एक और कारण है, तथा भूमि का उपयोग शहरीकरण के लिए किया जा रहा है, जिससे वन्यजीवन तथा पेड़ों में कमी आती जा रही है। उनके द्वारा उत्पन्न कच्चा मॉल में भी प्रतिदिन कमी होती जा रही है। बढ़ते प्रदूषण, नकारात्मक रूप से जल निकायों को प्रभावित कर रहा है, जिससे आने वाली पीढ़ियों को पानी की कमी का सामना करना पड़ सकता है, जो कभी प्रचुर मात्रा में हुआ करता था।
अब वो समय है जब हम मनुष्यों को प्राकृतिक संसाधनों को बर्बाद करने के बजाये उसका बुद्धिमानी, समझदारी और सावधानी से उपयोग करना चाहिए।