Hindi, asked by diptijaveri1268, 10 months ago

Prakriti ke prakop per nibandh

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Answered by angad201000
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नेपाल असाधारण रूप से प्राकृतिक आपदा के मुहाने पर है। इसके दो कारण हैं। पहला, वास्तव में देश का पथरीला इलाका कमजोर है। ऐसे में, किसी भी प्राकृतिक आपदा का प्रभाव इस क्षेत्र पर सबसे अधिक पड़ता है। बाढ़ और भू-स्खलन आम घटना है। नेपाल भूकंप संवेदनशील क्षेत्रों में भी आता है। कई लोगों का मानना है कि अगर इस क्षेत्र में धरती बड़े पैमाने पर डोलती है, तो काठमांडू तबाह हो जाएगा। दूसरा, नेपाल में आधारभूत संरचनाओं की बदतर स्थिति है। इसलिए यह देश किसी भी बड़ी प्राकृतिक त्रसदी को ङोलने की स्थिति में नहीं है। यह विफलता देश की अकुशलता और गरीबी की वजह से है। दरअसल, भौगोलिक स्थिति और सरकारी अकर्मण्यता, दोनों के चलते मजबूत आधारतभूत ढांचों का निर्माण और बेहतर सार्वजनिक नीति पर अमल मुश्किल रहे हैं। हर समय कुदरत का कुछ न कुछ कहर बरपता रहता है। इस बार जो बाढ़ आई, उसमें कई लोग अकाल काल के गाल में समा गए। और बहुत-से लोगों को असहाय होकर विस्थापित होना पड़ा। मानसून के आने के साथ हैजे जैसी महामारी फैलने लगी है। वैसे हर बार बाढ़ आती है और बीमारी भी फैलती है। नेपाल में एक प्रवृत्ति है कि हर नाकामी का दोष सरकार के सिर पर मढ़ा जाता है। यह स्वाभाविक भी है। अपने नागरिकों के जिंदगी के अधिकार को अक्षुण्ण रखने का दायित्व अंतत: सरकार का होता है। त्रसदी से उत्पन्न जनाक्रोश व असमंजस की स्थिति में सरकार को दोषी ठहराने का कारण समझ में आता भी है। देश में एक ऐसे तंत्र की आवश्यकता है, जो प्राकृतिक आपदाओं के प्रभाव को कम कर सके। एक दो-आयामी रणनीति चाहिए, जिसमें सबसे पहले सरकार व मददगार संगठनों को यह मालूम हो कि आसन्न आपदा की स्थिति व प्रवृत्ति क्या है और इनसे जूझने के लिए किस तरह के तंत्र जरूरी हैं और इनका प्रभावी इस्तेमाल कैसे मुमकिन है। इसके अलावा, देश में प्राकृतिक आपदाओं के बारे में जागरूकता अभियान चलाया जाना चाहिए, ताकि जनता त्रासदी के खतरे जानें और इनसे बचने के उपाय सीखें।

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