prakritik aapda kis karan hote hai
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हाल ही भारत, बांग्लादेश व नेपाल में आई भयंकर बाढ़ और कैरिबियन और अमेरिका में आए श्रेणी 5 के हरिकेन तथा अफ्रीका के 20 देशों में पड़े सूखे ने इन क्षेत्रों में भारी तबाही मचा दी थी, जिससे एक ओर तो सैकड़ों लोगों की मौत हुईं, वहीं दूसरी ओर लाखों लोगों का जीवन भी अस्त-व्यस्त हो चुका है। विदित हो कि प्रतिवर्ष 13 अक्टूबर को ‘अंतर्राष्ट्रीय आपदा न्यूनीकरण दिवस’ (International Day for Disaster Reduction) मनाया जाता है। इस दिन आपदा के प्रभाव को न्यूनतम करने हेतु विश्व समुदाय द्वारा किये गए उपायों का आकलन किया जाता है।
आपदा का अर्थ
आपदा अचानक होने वाली विध्वंसकारी घटना को कहा जाता है, जिससे व्यापक भौतिक क्षति व जान-माल का नुकसान होता है।
यह वह प्रतिकूल स्थिति है जो मानवीय, भौतिक, पर्यावरणीय एवं सामाजिक क्रियाकलापों को व्यापक तौर पर प्रभावित करती है।
आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 में- आपदा से तात्पर्य किसी क्षेत्र में हुए उस विध्वंस, अनिष्ट, विपत्ति या बेहद गंभीर घटना से है, जो प्राकृतिक या मानवजनित कारणों से या दुर्घटनावश अथवा लापरवाही से घटित होती है और जिसमें बहुत बड़ी मात्रा में मानव जीवन की हानि होती है।
इसमें या तो मानव पीड़ित होता है अथवा संपत्ति को हानि पहुँचती है और पर्यावरण का भारी क्षरण होता है। यह घटना प्रायः प्रभावित क्षेत्र के समुदाय की सामना करने की क्षमता से अधिक भयावह होती है।
आपदाओं का कारण क्या है?
वर्तमान समय में समुद्रों के तापमान के बढ़ने से वायुमंडल में जलवाष्प की मात्र बढ़ रही है, जिससे कुछ स्थानों पर तो अत्यधिक वर्षा के कारण बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो जाती है जबकि अन्य स्थानों पर सूखे का भयावह रूप देखने को मिलता है। इसके अतिरिक्त कुछ ऐसे क्षेत्र भी होते हैं जहाँ बाढ़ तथा सूखे की स्थिति एक साथ उत्पन्न हो जाती है| अतः आपदा का प्रभाव बहुत विध्वंसकारी होता है।
विश्व में बढ़ते समुद्री स्तर को मापने के लिये टॉपेक्स/पोसीडॉन (TOPEX/Poseidon) नामक सबसे पहली सेटेलाइट को आज से 25 वर्ष पूर्व लॉन्च किया गया था और तब से लेकर अब तक किये गए समुद्री स्तरों के मापन से इस बात की पुष्टि हुई है कि प्रतिवर्ष समुद्र के वैश्विक स्तर में 3.4 मिलीमीटर की वृद्धि हो रही है। अतः इन 25 वर्षों के दौरान इसमें कुल 85 मिलीमीटर की वृद्धि हुई है। समुद्रों के तापमान में होने वाली वृद्धि और उनका गर्म होना विश्व स्तर पर उष्णकटिबंधीय तूफानों की तीव्रता में महत्त्वपूर्ण योगदान दे रहा है।
प्रभाव
सबसे कम विकसित देशों पर इन आपदाओं का गहरा प्रभाव पड़ता है तथा ये वहाँ के जन-जीवन के लिये खतरा बन सकती हैं, जबकि विकसित और मध्यम आयवर्ग वाले देशों में बुनियादी ढांचे पर इनका अधिक प्रभाव पड़ता है।
वैश्विक स्तर पर प्रतिवर्ष प्रदूषण से 4.3 मिलियन लोगों की मृत्यु होती है, परन्तु इस पर कोई विशेष ध्यान नहीं दिया जाता। ऊष्मा को अवशोषित करने वाली हरित गृह गैसों का प्रभाव मौसमी घटनाओं पर पड़ता है| अतः इस ओर ही अधिक ध्यान केन्द्रित किया जाता है।
पिछले दो वर्षों के दौरान उन देशों के 40 मिलियन से अधिक लोगों ने आपदाओं के कारण अपने घर छोड़ दिये, जो वैश्विक तापन में बहुत कम योगदान करते हैं।
भारत में आपदा को निम्न श्रेणियों में बाँटा गया है-
जल एवं जलवायु से जुड़ी आपदाएँ : चक्रवात, बवण्डर एवं तूफान, ओलावृष्टि, बादल फटना, लू व शीतलहर, हिमस्खलन, सूखा, समुद्र-क्षरण, मेघ-गर्जन व बिजली का कड़कना|
भूमि संबंधी आपदाएँ : भूस्खलन, भूकंप, बांध का टूटना, खदान में आग|
दुर्घटना संबंधी आपदाएँ: जंगलों में आग लगना, शहरों में आग लगना, खदानों में पानी भरना, तेल का फैलाव, प्रमुख इमारतों का ढहना, एक साथ कई बम विस्फोट, बिजली से आग लगना, हवाई, सड़क एवं रेल दुर्घटनाएँ|
जैविक आपदाएँ : महामारियॉ, कीटों का हमला, पशुओं की महामारियॉ, जहरीला भोजन|
रासायनिक, औद्योगिक एवं परमाणु संबंधी आपदाएं, रासायनिक गैस का रिसाव, परमाणु बम गिरना।
आपदा का अर्थ
आपदा अचानक होने वाली विध्वंसकारी घटना को कहा जाता है, जिससे व्यापक भौतिक क्षति व जान-माल का नुकसान होता है।
यह वह प्रतिकूल स्थिति है जो मानवीय, भौतिक, पर्यावरणीय एवं सामाजिक क्रियाकलापों को व्यापक तौर पर प्रभावित करती है।
आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 में- आपदा से तात्पर्य किसी क्षेत्र में हुए उस विध्वंस, अनिष्ट, विपत्ति या बेहद गंभीर घटना से है, जो प्राकृतिक या मानवजनित कारणों से या दुर्घटनावश अथवा लापरवाही से घटित होती है और जिसमें बहुत बड़ी मात्रा में मानव जीवन की हानि होती है।
इसमें या तो मानव पीड़ित होता है अथवा संपत्ति को हानि पहुँचती है और पर्यावरण का भारी क्षरण होता है। यह घटना प्रायः प्रभावित क्षेत्र के समुदाय की सामना करने की क्षमता से अधिक भयावह होती है।
आपदाओं का कारण क्या है?
वर्तमान समय में समुद्रों के तापमान के बढ़ने से वायुमंडल में जलवाष्प की मात्र बढ़ रही है, जिससे कुछ स्थानों पर तो अत्यधिक वर्षा के कारण बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो जाती है जबकि अन्य स्थानों पर सूखे का भयावह रूप देखने को मिलता है। इसके अतिरिक्त कुछ ऐसे क्षेत्र भी होते हैं जहाँ बाढ़ तथा सूखे की स्थिति एक साथ उत्पन्न हो जाती है| अतः आपदा का प्रभाव बहुत विध्वंसकारी होता है।
विश्व में बढ़ते समुद्री स्तर को मापने के लिये टॉपेक्स/पोसीडॉन (TOPEX/Poseidon) नामक सबसे पहली सेटेलाइट को आज से 25 वर्ष पूर्व लॉन्च किया गया था और तब से लेकर अब तक किये गए समुद्री स्तरों के मापन से इस बात की पुष्टि हुई है कि प्रतिवर्ष समुद्र के वैश्विक स्तर में 3.4 मिलीमीटर की वृद्धि हो रही है। अतः इन 25 वर्षों के दौरान इसमें कुल 85 मिलीमीटर की वृद्धि हुई है। समुद्रों के तापमान में होने वाली वृद्धि और उनका गर्म होना विश्व स्तर पर उष्णकटिबंधीय तूफानों की तीव्रता में महत्त्वपूर्ण योगदान दे रहा है।
प्रभाव
सबसे कम विकसित देशों पर इन आपदाओं का गहरा प्रभाव पड़ता है तथा ये वहाँ के जन-जीवन के लिये खतरा बन सकती हैं, जबकि विकसित और मध्यम आयवर्ग वाले देशों में बुनियादी ढांचे पर इनका अधिक प्रभाव पड़ता है।
वैश्विक स्तर पर प्रतिवर्ष प्रदूषण से 4.3 मिलियन लोगों की मृत्यु होती है, परन्तु इस पर कोई विशेष ध्यान नहीं दिया जाता। ऊष्मा को अवशोषित करने वाली हरित गृह गैसों का प्रभाव मौसमी घटनाओं पर पड़ता है| अतः इस ओर ही अधिक ध्यान केन्द्रित किया जाता है।
पिछले दो वर्षों के दौरान उन देशों के 40 मिलियन से अधिक लोगों ने आपदाओं के कारण अपने घर छोड़ दिये, जो वैश्विक तापन में बहुत कम योगदान करते हैं।
भारत में आपदा को निम्न श्रेणियों में बाँटा गया है-
जल एवं जलवायु से जुड़ी आपदाएँ : चक्रवात, बवण्डर एवं तूफान, ओलावृष्टि, बादल फटना, लू व शीतलहर, हिमस्खलन, सूखा, समुद्र-क्षरण, मेघ-गर्जन व बिजली का कड़कना|
भूमि संबंधी आपदाएँ : भूस्खलन, भूकंप, बांध का टूटना, खदान में आग|
दुर्घटना संबंधी आपदाएँ: जंगलों में आग लगना, शहरों में आग लगना, खदानों में पानी भरना, तेल का फैलाव, प्रमुख इमारतों का ढहना, एक साथ कई बम विस्फोट, बिजली से आग लगना, हवाई, सड़क एवं रेल दुर्घटनाएँ|
जैविक आपदाएँ : महामारियॉ, कीटों का हमला, पशुओं की महामारियॉ, जहरीला भोजन|
रासायनिक, औद्योगिक एवं परमाणु संबंधी आपदाएं, रासायनिक गैस का रिसाव, परमाणु बम गिरना।
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प्राकृतिक आपदा निम्नलिखित कारणों से होती है |
Explanation:
प्राकृतिक आपदा निम्नलिखित कारणों से होती है:
- मानव द्वारा वनों की अंधाधुंध कटाई के कारण पृथ्वी में एक असंतुलन पैदा हो जाता है जिससे प्राकृतिक आपदाओं
- की संभावना बढ़ जाती है।
- मनुष्य विभिन्न वन्यजीवों की हत्या कर या उनका शिकार करते हैं जिस वजह से प्रकृति का संतुलन खराब हो जाता है और प्राकृतिक आपदाएं आने लगती हैं।
- पृथ्वी पर प्रदूषण के कारण पृथ्वी का स्वरूप बदल जाने के कारण भी प्राकृतिक आपदाएं आने की संभावना बढ़ जाती है।
और अधिक जानें:
प्राकृतिक आपदा प्रबंधन पर निबंध |
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