Prakritik sansadhan ke asaiment
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पृथ्वी हमें प्राकृतिक संसाधन उपलब्ध कराती है जिसे मानव अपने उपयोगी कार्र्यों के लिए प्रयोग करता है। इनमें से कुछ संसाधन को पुनर्नवीनीकृत नहीं किया जा सकता है, उदाहरणस्वरूप- खनिज ईंधन जिनका प्रकृति द्वारा जल्दी से निर्माण करना संभव नहीं है।पृथ्वी की भूपर्पटी से जीवाश्मीय ईंधन के भारी भंडार प्राप्त होते हैं। इनमें कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस और मीथेन क्लेथरेट शामिल हैं। इन भंडारों का उपयोग ऊर्जा व रसायन उत्पादन के लिए किया जाता है। खनिज अयस्क पिंडों का निर्माण भी पृथ्वी की भूपर्पटी में ही होता है।
पृथ्वी का बायोमंडल मानव के लिए उपयोगी कई जैविक उत्पादों का उत्पादन करता है। इनमें भोजन, लकड़ी, फार्मास्युटिकल्स, ऑक्सीजन इत्यादि शामिल हैं। भूमि आधारित पारिस्थिकीय प्रणाली मुख्य रूप से मृदा की ऊपरी परत और ताजा जल पर निर्भर करती है। दूसरी ओर महासागरीय पारिस्थितकीय प्रणाली भूमि से महासागरों में बहकर गये हुए पोषणीय तत्वों पर निर्भर करती है।
विश्व में भूमि प्रयोग
खेती योग्य भूमि
13.13 प्रतिशत
स्थाई फसलें 4.71 प्रतिशत
स्थाई चारागाह 26 प्रतिशत
वन 32 प्रतिशत
शहरी क्षेत्र
1.5 प्रतिशत
अन्य
30 प्रतिशत
तापमान
तापमान ऊष्मा की तीव्रता अर्थात वस्तु की तप्तता की मात्रा का ज्ञान कराता है। ग्लोब को तीन तापमान क्षेत्रों में विभाजित किया गया है-
उष्णकटिबंधीय क्षेत्र (Tropical zone)- यह कर्क रेखा व मकर रेखा के मध्य स्थित होता है। वर्षपर्यंत उच्च तापमान रहता है।
समशीतोष्ण क्षेत्र (Temperate zone)- यह दोनों गोलाद्र्धों में 23श 30Ó और 66श ३०ज् अक्षांशों के मध्य स्थित है।
शीत कटिबंध क्षेत्र (Frigid Zone) - दोनों गोलाद्र्धों में यह ध्रुवों और 66श ३०ज् अक्षांश के मध्य स्थित है। वर्षपर्यंत यहाँ निम्न तापमान रहता है।
पृथ्वी का औसत तापमान सदैव समान रहता है।
वायुदाब
वायुदाब को प्रति इकाई क्षेत्रफल पर पडऩे वाले बल के रूप में मापते हैं। इसका स्पष्टï तात्पर्य है कि किसी दिए गए स्थान तथा समय पर वहाँ की हवा के स्तम्भ का सम्पूर्ण भार। इसकी इकाई 'मिलीबार' कहलाती है। वायुदाब के क्षैतिज वितरण को देखने पर धरातल पर वायुदाब की 4 स्पष्ट पेटियाँ पाई जाती हैं।
भूमध्यरेखीय निम्न वायुदाब की पेटी (Equational Low Pressure Belt) - धरातल पर भूमध्यरेखा के दोनों ओर ५श अक्षांशों के बीच निम्न वायुदाब की पेटी का विस्तार पाया जाता है। शांत वातावरण के कारण इस पेटी को शांत पेटी या डोलड्रम भी कहते हैं।
उपोष्ण कटिबंधीय उच्च वायुदाब की पेटियाँ (The subtropical high pressure)- भूमध्य रेखा से ३०श-३५श अक्षांशों पर दोनों गोलाद्र्धों में उच्च वायुदाब की पेटियों की उपस्थित पाई जाती है। उच्च वायुदाब वाली इस पेटी को 'अश्व अक्षांश' (horse latitude) कहते हैं।
उपध्रुवीय निम्न वायुदाब की पेटियाँ (Sub-Polar low pressure belt)- दोनों गोलाद्र्धों में ६०श से ६५श अक्षांशों के बीच निम्न वायुदाब की पेटियाँ पाई जाती हैं।
ध्रुवीय उच्च वायुदाब की पेटियाँ (Polar high)- यह पेटियाँ ध्रुवों पर पाई जाती हैं। इन क्षेत्रों में न्यूनतम तापमान के कारण ध्रुवीय उच्च वायुदाब की पेटियों का निर्माण होता है।
पवन
क्षैतिज रूप में गतिशील होने वाली हवा को ही पवन कहते है। वायुदाब की विषमताओं को संतुलित करने की दिशा में यह प्रकृति का एक स्वभाविक प्रयास है। धरातल पर निम्न प्रकार की पवन पाई जाती हैं-
प्रचलित पवन (Prevailing Wind) - जो पवन वायुदाब के अक्षांशीय अंतर के कारण वर्ष भर एक से दूसरे कटिबंध की ओर प्रवाहित होती रहती हैं, उसे प्रचलित पवन कहते हैं। व्यापारिक पवन (trade Winds), पछुआ पवन (westerlies) व ध्रुवीय पवन (Polar winds) इत्यादि प्रचलित पवन के उदाहरण हैं|
सामयिक पवन (periodic winds)- मौसम या समय के साथ जिन पवनों की दिशा में परिवर्तन पाया जाता है, उन्हें सामयिक या कालिक पवन कहा जाता है। पवनों के इस वर्ग में मानसून पवनें, स्थल तथा सागर समीर शामिल हैं।
स्थानीय पवन (Local Winds) - स्थानीय पवनों की उत्पत्ति तापमान तथा दाब के स्थानीय अंतर की वजह से होता है। लू स्थानीय पवन का एक बेहतर उदाहरण है।
आद्र्रता वायुमण्डल में विद्यमान अदृश्य जलवाष्प की मात्रा ही आद्र्रता (Humidity) कहलाती है।
निरपेक्ष आद्र्रता (Absolute humidity) - वायु के प्रति इकाई आयतन में विद्यमान जलवाष्प की मात्रा को निरपेक्ष आद्र्रता कहते हैं.
विशिष्टï आद्र्रता (Specific Humidity) - हवा के प्रति इकाई भार में जलवायु के भार का अनुपात विशिष्टï आद्र्रता कहलाती है।
सापेक्ष आद्र्रता (Relative Humidity) - एक निश्चित तापमान पर निश्चित आयतन वाली वायु की आद्र्रता सामथ्र्य तथा उसमें विद्यमान वास्तविक आद्र्रता के अनुपात को साप
पृथ्वी का बायोमंडल मानव के लिए उपयोगी कई जैविक उत्पादों का उत्पादन करता है। इनमें भोजन, लकड़ी, फार्मास्युटिकल्स, ऑक्सीजन इत्यादि शामिल हैं। भूमि आधारित पारिस्थिकीय प्रणाली मुख्य रूप से मृदा की ऊपरी परत और ताजा जल पर निर्भर करती है। दूसरी ओर महासागरीय पारिस्थितकीय प्रणाली भूमि से महासागरों में बहकर गये हुए पोषणीय तत्वों पर निर्भर करती है।
विश्व में भूमि प्रयोग
खेती योग्य भूमि
13.13 प्रतिशत
स्थाई फसलें 4.71 प्रतिशत
स्थाई चारागाह 26 प्रतिशत
वन 32 प्रतिशत
शहरी क्षेत्र
1.5 प्रतिशत
अन्य
30 प्रतिशत
तापमान
तापमान ऊष्मा की तीव्रता अर्थात वस्तु की तप्तता की मात्रा का ज्ञान कराता है। ग्लोब को तीन तापमान क्षेत्रों में विभाजित किया गया है-
उष्णकटिबंधीय क्षेत्र (Tropical zone)- यह कर्क रेखा व मकर रेखा के मध्य स्थित होता है। वर्षपर्यंत उच्च तापमान रहता है।
समशीतोष्ण क्षेत्र (Temperate zone)- यह दोनों गोलाद्र्धों में 23श 30Ó और 66श ३०ज् अक्षांशों के मध्य स्थित है।
शीत कटिबंध क्षेत्र (Frigid Zone) - दोनों गोलाद्र्धों में यह ध्रुवों और 66श ३०ज् अक्षांश के मध्य स्थित है। वर्षपर्यंत यहाँ निम्न तापमान रहता है।
पृथ्वी का औसत तापमान सदैव समान रहता है।
वायुदाब
वायुदाब को प्रति इकाई क्षेत्रफल पर पडऩे वाले बल के रूप में मापते हैं। इसका स्पष्टï तात्पर्य है कि किसी दिए गए स्थान तथा समय पर वहाँ की हवा के स्तम्भ का सम्पूर्ण भार। इसकी इकाई 'मिलीबार' कहलाती है। वायुदाब के क्षैतिज वितरण को देखने पर धरातल पर वायुदाब की 4 स्पष्ट पेटियाँ पाई जाती हैं।
भूमध्यरेखीय निम्न वायुदाब की पेटी (Equational Low Pressure Belt) - धरातल पर भूमध्यरेखा के दोनों ओर ५श अक्षांशों के बीच निम्न वायुदाब की पेटी का विस्तार पाया जाता है। शांत वातावरण के कारण इस पेटी को शांत पेटी या डोलड्रम भी कहते हैं।
उपोष्ण कटिबंधीय उच्च वायुदाब की पेटियाँ (The subtropical high pressure)- भूमध्य रेखा से ३०श-३५श अक्षांशों पर दोनों गोलाद्र्धों में उच्च वायुदाब की पेटियों की उपस्थित पाई जाती है। उच्च वायुदाब वाली इस पेटी को 'अश्व अक्षांश' (horse latitude) कहते हैं।
उपध्रुवीय निम्न वायुदाब की पेटियाँ (Sub-Polar low pressure belt)- दोनों गोलाद्र्धों में ६०श से ६५श अक्षांशों के बीच निम्न वायुदाब की पेटियाँ पाई जाती हैं।
ध्रुवीय उच्च वायुदाब की पेटियाँ (Polar high)- यह पेटियाँ ध्रुवों पर पाई जाती हैं। इन क्षेत्रों में न्यूनतम तापमान के कारण ध्रुवीय उच्च वायुदाब की पेटियों का निर्माण होता है।
पवन
क्षैतिज रूप में गतिशील होने वाली हवा को ही पवन कहते है। वायुदाब की विषमताओं को संतुलित करने की दिशा में यह प्रकृति का एक स्वभाविक प्रयास है। धरातल पर निम्न प्रकार की पवन पाई जाती हैं-
प्रचलित पवन (Prevailing Wind) - जो पवन वायुदाब के अक्षांशीय अंतर के कारण वर्ष भर एक से दूसरे कटिबंध की ओर प्रवाहित होती रहती हैं, उसे प्रचलित पवन कहते हैं। व्यापारिक पवन (trade Winds), पछुआ पवन (westerlies) व ध्रुवीय पवन (Polar winds) इत्यादि प्रचलित पवन के उदाहरण हैं|
सामयिक पवन (periodic winds)- मौसम या समय के साथ जिन पवनों की दिशा में परिवर्तन पाया जाता है, उन्हें सामयिक या कालिक पवन कहा जाता है। पवनों के इस वर्ग में मानसून पवनें, स्थल तथा सागर समीर शामिल हैं।
स्थानीय पवन (Local Winds) - स्थानीय पवनों की उत्पत्ति तापमान तथा दाब के स्थानीय अंतर की वजह से होता है। लू स्थानीय पवन का एक बेहतर उदाहरण है।
आद्र्रता वायुमण्डल में विद्यमान अदृश्य जलवाष्प की मात्रा ही आद्र्रता (Humidity) कहलाती है।
निरपेक्ष आद्र्रता (Absolute humidity) - वायु के प्रति इकाई आयतन में विद्यमान जलवाष्प की मात्रा को निरपेक्ष आद्र्रता कहते हैं.
विशिष्टï आद्र्रता (Specific Humidity) - हवा के प्रति इकाई भार में जलवायु के भार का अनुपात विशिष्टï आद्र्रता कहलाती है।
सापेक्ष आद्र्रता (Relative Humidity) - एक निश्चित तापमान पर निश्चित आयतन वाली वायु की आद्र्रता सामथ्र्य तथा उसमें विद्यमान वास्तविक आद्र्रता के अनुपात को साप
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