Prakruti manushya ki mitra hai essay in hindi
Answers
prakruti ke cheez - suraj, chand, pavan, taare etiyaadi.
prakruti se manusya ka mitra kaise?-
jab manushya thak jata hai, duniya ki
mahfilon se bejaar hojata hai , dukhi hojata hai ba jab koi uske saath na ho tab prakruti uska saccha mitra hojata hai
doston ke saath shor karne se accha usko chupchap baith kar prakruti ki suandarjay dekhne mein lagta hai. woh prakruti ke itne qareeb aajata hai ke woh duniya ko bhool jana chahta hai bas baith kar prakruti ki suandarjay dekhne chahata hai. jab insan ke sar par zyada bojh aajate hain to uska sar kaam karna band hojata hai tab woh chupchap khule hawa mein baith kar prakruti dekhta hai aur sab gam bhul jata hai.
sandesh-isse hamein ye sandesh milti hai ki prakruti hamara saccha mitra hai aur hamein iska maza uthana chahiye.
Answer:
मनुष्य के जन्म के साथ ही उनका प्रकृति से अटूट नाता जुड़ जाता हैं. या यूँ कहे कि मानव आजीवन प्रकृति पर निर्भर रहता हैं तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी. उनके हर क्रियाकलाप प्रकृति के साथ ही होते हैं. इन्सान ने समय के परिवर्तन के साथ साथ स्वयं में भी बदलाव करते हुए आज स्वयं को साधन सम्पन्न बना दिया हैं. एक समय इन्सान और जानवर में कोई फर्क नहीं था मगर प्रकृति का सहयोग लेकर इसने स्वयं को आधुनिक बनाया हैं. हर तरह से प्रकृति मानव का पोषण करती आई हैं. तथा यह अनंत काल से मानव की सहचरी रही हैं. मगर मनुष्य ने अपने स्वार्थ के चलते प्रकृति के साथ मित्रता के नाते को फिर से धूमिल कर दिया हैं. प्रकृति की सुंदरता को समाप्त कर इसके साथ दासी जैसा व्यवहार करना आरम्भ कर दिया हैं. कुदरत ने मानव के लिए पृथ्वी की सुंदर रचना की हैं. जिसके हरेक तत्व का बड़ा महत्व हैं. जीव जन्तु हो या पेड़ पौधे अथवा कीड़े मकोड़े सभी का संतुलन ही प्रकृति की सुंदरता को बढ़ाती हैं. व्यक्ति के जीवित रहने के लिए शुद्ध हवा तथा जल बचा रहना चाहिए, साथ ही साथ वनस्पतियों तथा जीव जन्तुओं का होना भी जरुरी हैं. पृथ्वी पर सभी सजीव प्राणियों का भोजन धरती के तल में दबा केवल पेड़ पौधे ही इसे सभी के लिए सुलभ बना सकते हैं. सूर्य की किरणों के माध्यम से पेड़ पौधे अपना भोजन बनाते है तथा उन्ही पर सभी शाकाहारी निर्भर रहते हैं. इस जीवन चक्र में शाकाहारी जीवों के संतुलन तथा पेड़ पौधों की रक्षा के लिए मांसाहारी जीव अपना कर्तव्य निभाते हैं. इस प्रकार प्रकृति के इस संतुलन को बनाने में पेड़ पौधों की प्राथमिक भूमिका होती हैं जबकि मानव वह स्वार्थी प्राणी है जो सब कुछ मुफ्त में पाने के उपरांत भी प्रकृति के साथ धोखेबाजी की राह को छोड़ने के लिए तैयार नहीं होता हैं. प्रकृति और मनुष्य एक दूसरे के पूरक है इसका मतलब यह नही कि मानव नहीं होगा तो पृथ्वी नहीं चलेगी बल्कि प्रकृति का मानव जीवन के लिए होना नितांत अनिवार्य हैं. अतः अभी भी समय हमें मानव और प्रकृति के मित्रता पूर्ण रिश्ते को समझना होगा तथा हमारा जीवन पूर्ण अंधकारमय हो जाए इससे पूर्व नेचर के साथ सामजस्य बिठाना होगा. आशा करता हूँ दोस्तों आपकों prakruti manushya ki mitra essay in hindi का यह निबंध अच्छा लगा होगा. यदि आपकों prakruti manushya ki mitra essay in hindi का आर्टिकल पसंद आया हो तो प्लीज इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर कर दे.