Hindi, asked by AkbarNawaz, 7 months ago

prakruti saundharya par kavita​

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Answered by singhadiarmylover
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....................................☺

Answered by Enlightenedboy
1

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हे ईस्वर तेरी बनाई यह धरती , कितनी ही सुन्दर

नए – नए और तरह – तरह के

एक नही कितने ही अनेक रंग !

कोई गुलाबी कहता ,

तो कोई बैंगनी , तो कोई लाल

तपती गर्मी मैं

हे ईस्वर , तुम्हारा चन्दन जैसे व्रिक्स

सीतल हवा बहाते

खुशी के त्यौहार पर

पूजा के वक़्त पर

हे ईस्वर , तुम्हारा पीपल ही

तुम्हारा रूप बनता

तुम्हारे ही रंगो भरे पंछी

नील अम्बर को सुनेहरा बनाते

तेरे चौपाये किसान के साथी बनते

हे ईस्वर तुम्हारी यह धरी बड़ी ही मीठी

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