prani vachak aur prani vachak shabdon ke ling ka nirdharan kiske Aadhar par hota hai
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वाक्य प्रयोग के आधार पर।
Explanation:
जब हम किसी शब्द के लिंग को लेकर भ्रमित होते हैं, तो हमें उस शब्द का वाक्य प्रयोग करना चाहिए, वाक्य प्रयोग में प्रयुक्त क्रिया या कारक चिन्ह के आधार पर हम वाक्य के लिंग का निर्णय लेते हैं।
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प्राणी वाचक संज्ञा:
Explanation:
- संज्ञा की परिभाषा: किसी भी व्यक्ति, प्राणी, वस्तु, स्थान, गुण, जाति या भाव, दशा आदि के नाम को संज्ञा (sangya) कहते हैं। वासुदेवनंदन प्रसाद के अनुसार 'संज्ञा (noun) उस विकारी शब्द को कहते है, जिससे किसी विशेष वस्तु, भाव और जीव के नाम का बोध हो। साधारण अर्थ में 'वस्तु' का प्रयोग इस अर्थ में नहीं होता।
- प्राणी वाचक संज्ञा:
- किसी वस्तु, व्यक्ति, स्थान, स्थिति, गुण या भाव के नाम का बोध कराने वाले शब्दों और क्रिया को संज्ञा कहते हैं।संज्ञा व्यक्ति (पशु) या वस्तु, स्थान, या भाव आदि का नाम है। अन्य प्रकार के प्रारूप में हम कह सकते हैं कि संज्ञा में 'नाम' है। उदाहरण के लिए दिल्ली, राम, सचिन, बिल्ली, दूध, गाय, जमीन, लाल किला आदि।
- पशु संज्ञा शब्दों का प्रयोग करके लिंग की पहचान कैसे की जाती है:
- जैसे- राम, जयपुर, आम,, बिल्ली आदि। राम खाना खा रहा है = राम व्यक्ति का नाम है। आम में होती है मिठास = फल का नाम आम भी है। कुत्ता दौड़ना = कुत्ता जानवर का नाम है।
- लड़की
- भैंस
- टक्कर मारना
- पक्षी आदि क्या हम जानते हैं कि इन सभी चीजों में उपरोक्त सभी में जीवन है, इसलिए इसे पशु संज्ञा कहा जाता है।
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