Prani vachak shabdo Ka ling kya dekhkar pehchana jaa Sakta h
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इस लेख में हम लिंग की परिभाषा, उनके भेद और नियमों को उदहारण सहित जानेंगे।
लिंग का अभिप्राय भाषा की ऐसी अनुकूल परिस्थितियों से है, जो वाक्य के कर्ता के अनुसार बदल जाते हैं। विश्व की लगभग सभी भाषाओं में किसी न किसी प्रकार की लिंग व्यवस्था होती है। हिंदी में दो लिंग होते हैं
(पुलिंग-स्त्रीलिंग), जबकि संस्कृत में तीन लिंग होते हैं (पुलिंग-स्त्रीलिंग-नपुंसकलिंग), फारसी जैसी भाषाओं में लिंग होता नहीं और अंग्रेजी में लिंग सिर्फ सर्वनाम में होता है।
ये सब जानने पर आपको लग सकता है कि लिंग पहचानना कौन सा मुश्किल काम है? परन्तु लिंग की पहचान करते समय बहुत से विद्यार्थी कठिनाइयों का सामना करते है। इस समस्या का समाधान हम इस लेख के माध्यम से करेंगे
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