Hindi, asked by saireenchoudhury1995, 9 months ago

Prarthana Kavita vah Shakti Hamen do dayanidhe Kavita ki summary​

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Answered by ankurgoswami1976
4

Answer:

वह शक्ति हमें दो दयानिधे,

कर्त्तव्य मार्ग पर डट जावें।

पर-सेवा पर-उपकार में हम,

जग(निज)-जीवन सफल बना जावें॥

॥ वह शक्ति हमें दो दयानिधे...॥

हम दीन-दुखी निबलों-विकलों के,

सेवक बन संताप हरें।

जो हैं अटके, भूले-भटके,

उनको तारें खुद तर जावें॥

॥ वह शक्ति हमें दो दयानिधे...॥

छल, दंभ-द्वेष, पाखंड-झूठ,

अन्याय से निशिदिन दूर रहें।

जीवन हो शुद्ध सरल अपना,

शुचि प्रेम-सुधा रस बरसावें॥

॥ वह शक्ति हमें दो दयानिधे...॥

निज आन-बान, मर्यादा का,

प्रभु ध्यान रहे अभिमान रहे।

जिस देश-जाति* में जन्म लिया,

बलिदान उसी पर हो जावें॥

॥ वह शक्ति हमें दो दयानिधे...॥

* काफी जगहों पर देश-जाति की जगह देश-राष्ट्र प्रयोग में लाया जाता है।

इस कविता के लेखक मुरारीलाल शर्मा बालबंधु थे।

जन्म- 1893

ग्राम - साइमल की टिकड़ी

जिला- मेरठ, उत्तर-प्रदेश

निधन- 4 नवम्बर 1961

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Answered by mohitashekhawat0631
0

Answer:

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