prataha kaal ka drishya anuched
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प्रातः काल के दृश्य पर अनुच्छेद
प्रातःकाल का दृश्य किसे प्रिय नहीं होता। सुबह-सुबह ताजी हवा और प्रातःकाल का रमणीय दृश्य मन को मोह लेने वाला होता है। प्रातःकाल की दृश्य की सुंदरता और प्रातःकाल के भ्रमण के लाभ हमेशा सुनते आए हैं। जो लोग नित्य प्रति प्रातःकाल में भ्रमण करते हैं, उनका स्वास्थ्य उत्तम रहता है। इस बात में कोई शंका नहीं थी। इसी बात को ध्यान में रखकर प्रातः काल भ्रमण का निश्चय किया।
सुबह छः बजते ही घर से निकल लिए और अपने पास के एक पार्क में जाकर बैठ गए। सूरज धीरे-धीरे उग रहा था। सूरज की लालिमा धीरे-धीरे आकाश में फैल रही थी और सूरज के आसापास का आकाश हल्का लाल रंग का बड़ा ही मनोरम दृश्य बना रहा था। पार्क में आसपास के लोग अपनी-अपनी दिनचर्य में व्यस्त थे। कोई प्राणायाम कर रहा था, तो कोई योग का आसन लगाए बैठा था।
कोई धीरे-धीरे दौड़ रहा था, तो कोई पार्क में लगे व्यायाम उपकरणों पर व्यस्त था। सुबह की ताजी मंद-मंद हवा बह रही थी। पक्षियों का कलरव मन में घंटी जैसा मधुर प्रतीत हो रहा था। प्रातः काल सूर्योदय को उदित होते देखना एक अनोखा अनुभव और शांति देता है। सूर्य के उदय को अपनी आँखों के सामने उदित होते देख कर मन आनंदित हो उठा। धीरे-धीरे हल्की-हल्की धूप वातावरण में फैलने लगी और लोगों की भीड़ भी बढ़ने लगी। प्रातःकाल के दृश्य का आनंद पूरा हो गया था, इसलिए अपने घर का रूख किया।