Hindi, asked by anuthebest, 1 year ago

prataha kaal ka drishya anuched

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Answered by VINAY12173
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प्रात:काल का सौंदर्य अनुपम और स्वास्थ्यकारी होता है। प्राचीनकाल से इस समय को सबसे उत्तम और श्रेयकर माना जाता है। गर्मियों की छुट्टियों में मुझे भी पिताजी के साथ प्रातःकालीन भ्रमण पर जाने का सुअवसर प्रदान हुआ। हम दोनों हमारी कलोनी के पास ही बने बड़े से पार्क में गए। वहाँ पिताजी ने कहा कि हम पहले तेज़-तेज़ चलेंगे। वहाँ का दृश्य मुझे अलग ही प्रकार की अनुभूति प्रदान कर रहा था। सुबह के समय सूर्य का अनुपम सौंदर्य और प्रकृति की मोहक छटा इसी समय में दिखाई देती है। चारों तरफ शांति व्याप्त थी। इस समय सारा शहर सोया होता है बस पक्षियों करवल सुनाई देता। यह ध्वनि ह्दय को प्रसन्नता दे रही थी। चारों तरफ हल्की ठंड व्याप्त थी। ठंडी हवा मन और शरीर को सुख देने वाली लग रही थी। शायद तभी प्रातःकालीन भ्रमण में जाना स्वास्थ्य के लिए लाभकारी माना जाता है। प्रातःकालीन वातावरण का दृश्य देखकर ह्दय में जहाँ प्रसन्नता व्याप्त हो रही थी, वहीं दूसरी ओर शरीर में ऊर्जा का संचार हो रहा था। सुबह के समय वातावरण स्वच्छ होता है। अतः स्वच्छता का अहसास हो रहा था। प्रदूषण का नामो-निशान नहीं था। हमारे आसपास कई बड़े और बूढ़े इस भ्रमण का आनंद उठा रहे थे। कुछ बाग में बैठकर व्यायाम कर रहे थे, तो कुछ चलते-चलते हाथों का व्यायाम कर रहे थे। मेरी ही तरह बहुत से बच्चे अपने माता-पिता के साथ आए हुए थे। सब इधर-उधर भाग रहे थे। बाग एक किनारे में एक चाय वाला भईया चाय लेकर बैठा हुआ था, तो एक भईया समाचार पत्र लेकर बैठा हुआ था। लोग उससे चाय लेते और समाचार-पत्र पढ़ते। पिताजी ने भी उनसे समाचार पत्र लिया और चलते-चलते पड़ने लगे। वहाँ दृश्य बहुत आनंददायी था। मुझे बहुत अच्छा लगा।
Answered by bhatiamona
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प्रातः काल के दृश्य पर अनुच्छेद  

प्रातःकाल का दृश्य किसे प्रिय नहीं होता। सुबह-सुबह ताजी हवा और प्रातःकाल का रमणीय दृश्य मन को मोह लेने वाला होता है। प्रातःकाल की दृश्य की सुंदरता और प्रातःकाल के भ्रमण के लाभ हमेशा सुनते आए हैं। जो लोग नित्य प्रति प्रातःकाल में भ्रमण करते हैं, उनका स्वास्थ्य उत्तम रहता है। इस बात में कोई शंका नहीं थी। इसी बात को ध्यान में रखकर प्रातः काल भ्रमण का निश्चय किया।

सुबह छः बजते ही घर से निकल लिए और अपने पास के एक पार्क में जाकर बैठ गए। सूरज धीरे-धीरे उग रहा था। सूरज की लालिमा धीरे-धीरे आकाश में फैल रही थी और सूरज के आसापास का आकाश हल्का लाल रंग का बड़ा ही मनोरम दृश्य बना रहा था। पार्क में आसपास के लोग अपनी-अपनी दिनचर्य में व्यस्त थे। कोई प्राणायाम कर रहा था, तो कोई योग का आसन लगाए बैठा था।

कोई धीरे-धीरे दौड़ रहा था, तो कोई पार्क में लगे व्यायाम उपकरणों पर व्यस्त था। सुबह की ताजी मंद-मंद हवा बह रही थी। पक्षियों का कलरव मन में घंटी जैसा मधुर प्रतीत हो रहा था। प्रातः काल सूर्योदय को उदित होते देखना एक अनोखा अनुभव और शांति देता है। सूर्य के उदय को अपनी आँखों के सामने उदित होते देख कर मन आनंदित हो उठा। धीरे-धीरे हल्की-हल्की धूप वातावरण में फैलने लगी और लोगों की भीड़ भी बढ़ने लगी।  प्रातःकाल के दृश्य का आनंद पूरा हो गया था, इसलिए अपने घर का रूख किया।

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