Hindi, asked by adway123, 1 year ago

Prathah kalin dhwaniyon ke upar 100 words

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Answered by atul103
18
#Ur Ans


प्रातःकाल की खुली स्वच्छ वायु में भ्रमण करने से शरीर रोगमुक्त रहता है अथवा जिन रोगों से हम ग्रसित हैं, उनमें कुछ राहत अवश्य महसूस करते हैं। बच्चे हों या बुजुर्ग, महिला हो या पुरुष सभी की अच्छी सेहत हेतु प्रातः भ्रमण एक संजीवनी है। प्रातः भ्रमण सेहत बनाने का बहुत सरल, सस्ता और सुविधाजनक उपाय है। प्रातःकाल का समय सर्वोत्तम होता है, क्योंकि इस समय हवा शुद्ध और प्रदूषण रहित होती है एवं प्राकृतिक छटा और सूर्योदय की लालिमा सुहावनी और शांतिप्रिय होती है।

लाभ :

* नियमित सैर करने से न केवल मांसपेशियाँ मजबूत होती हैं, बल्कि बाजुओं, पेट एवं जाँघों से भी अतिरिक्त चर्बी कम होती है। जितनी अधिक हम सैर करेंगे उतनी ही अधिक कैलोरीज बर्न होगी एवं मोटापा कम होगा।

* प्रातःकाल की खुली स्वच्छ वायु फेफड़ों में रक्त शुद्ध करने की क्रिया को प्रभावशाली बनाती है। इससे शरीर में ऑक्सीहीमोग्लोबीन बनता है, जो कोशिकाओं को शुद्ध ऑक्सीजन पहुँचाता है।

* हृदय, रक्तचाप, स्नायु रोग, मधुमेह आदि के रोगियों को भी प्रातः सैर करने की चिकित्सक द्वारा सलाह दी जाती है।

* सुबह की सैर हड्डियों के घनत्व को भी बढ़ाती है।

* टहलने से न केवल शारीरिक, बल्कि मानसिक क्षमता भी बढ़ जाती है एवं तनाव दूर होता है।

* कम से कम प्रतिदिन 3 किलोमीटर एवं सप्ताह में 5 दिन अवश्य सैर करें।
Answered by Anonymous
5
भारत में देवी देवताओं से ले कर साधारण मानवों तक हर किसी के जीवन में संगीत किसी ना किसी रूप में जुडा हुआ है। संगीत-रहित जीवन की कलपना केवल नारकीय जीवन के साथ ही करी जा सकती है। गायन, वादन तथा नृत्य तीनों कलाओं को संगीत की परिभाषा के अन्तर्गत ही माना गया है।

लिखित कला और विज्ञान के क्षेत्र में हिन्दुस्तानी संगीत का स्थान विश्व में प्राचीनतम है। संगीत को विज्ञान तथा कला, दोनो के क्षेत्र में समान महत्व मिला है। जैसे दैविक शक्तियों को शस्त्रों के साथ जोडा गया है उसी प्रकार संगीत के वाद्य यंत्रो और नृत्यों को भी देवी देवताओं के साथ जोडा गया है। भगवान शिव डमरू की ताल के साथ ताँडव नृत्य करते हैं, तो देवी सरस्वती वीणा वादिनी हैं। भगवान विष्णु के प्रतीक कृष्ण वँशी की तान सुनाते हैं और रास नृत्य भी करते थे। देवऋषि नारद तथा राक्षसाधिपति रावण वीणा वादन में पारंगत हैं। गाँडीवधारी अर्जुन सर्वश्रेष्ठ धनुधर होने के साथ साथ नृत्य शिक्षक भी हैं। अप्सराओं तथा गाँधर्वों का तो संगीत कला के क्षेत्र में विशिष्ठ स्थान हैं। भारत में देवी देवताओं से ले कर जन साधारण तक सभी का जीवन संगीत मय है। हर कोई संगीत को जीवन का मुख्य अंग मानता है।

adway123: Ye nahi chalega bhai
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