Pratham va davitiya prenavaachak kriya
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प्रथम प्रेरणार्थक और द्वितीय प्रेरणार्थक-दोनों में क्रियाएँ एक ही हो रही हैं, परन्तु उनको करने और करवाने वाले कर्ता अलग-अलग हैं। प्रथमप्रेरणार्थक क्रिया प्रत्यक्ष होती है तथा द्वितीयप्रेरणार्थक क्रिया अप्रत्यक्ष होती है। राम लजाता है। वह राम को लजवाता हैl
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